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________________ प्रेमी-अभिनदन-प्रथ ६२२ मधुकुरशाह भक्ति -रस रे, इन्द्रजीत, विक्रम बल पूरे, छत्रसाल नरपति रण शूरे, __वर-बुंदेल-अवतस हुए है कवि-कुल-मानस-हस । तुलसीदास ज्ञान-गुण-सागर, व्यास, गोप, बलभद्र, जवाहर, केशवदास कवीन्द्र कलाधर, भाषा प्रथमाचार्य हुए थे, इसी भूमि में आर्य । सुकवि बिहारीदास गुणाकर, हरिसेवक, रसनिधि, कवि गकुर, पचम, पुरुषोत्तम, पद्माकर, कवि कल्याण अनन्य हुई है, जिनसे बसुधा धन्य । विष्णु, सुदर्शन, श्रीपति, मण्डन, खगराय, गङ्गाधर, खण्डन, किङ्कर, कुजकुंअर, कवि कुदन, मोहन मिश्र, ब्रजेश यहीं थे, रसिक, प्रताप, हृदेश। (६) हसराज, हरिकेश, हरीजन, फेरन, करन, कृष्ण कवि, सज्जन, मान, खुमान, भान बदीजन, लोने, खेम, उदेश हुए है, भौन, बोध, रतनेश ।
SR No.010849
Book TitlePremi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremi Abhinandan Granth Samiti
PublisherPremi Abhinandan Granth Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size34 MB
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