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________________ मराठी साहित्य की कहानी ५२९ ने इस दिशा में बहुत अच्छे मनोवैज्ञानिक उपन्यासो के प्रयोग किये है। यह विभाग मराठी के आधुनिक साहित्य में सर्वाधिक परिपुष्ट है। इस सम्बन्ध मे विस्तारपूर्वक चर्चा मैने 'हस' (१९३५) मे 'तीन मराठी उपन्यासकार' और 'साहित्य-सन्देश' के उपन्यास-विशेषाक में 'मराठी के राजनैतिक उपन्यास' तथा 'औपन्यासिक मनोवैज्ञानिकता के प्रथम लेखाक मे की है। आख्यायिका के क्षेत्र में पूर्वोक्त सभी उपन्यासकारो ने (पु० य० देशपाडे का अपवाद छोड कर) अपनी लेखनी सफलतापूर्वक चलाई है। इस क्षेत्र में अगणित लेखक आधुनिक काल मे प्रसिद्ध है। फिर भी कुछ प्रमुख लघुकथा-लेखको के नाम यहाँ देना अनुचित न होगा वि० सी० गुर्जर, दिवाकर कृष्ण, प्र० श्री० कोल्हटकर, कुमार रघुवीर, वोकोल, दोडकर, लक्ष्मणराव सर देसाई, मुक्तावाई लेले, य० गो. जोशी, वामन चोरघडे, ठोकल, अनन्त काणेकर शामराव प्रोक आदि । आख्यायिका के विषय और तत्र (टेकनीक) में भी पर्याप्त सुधार और प्रगति होती गई। वि० स० खाडेकर ने 'रूपक-कथा' नामक खलील जिब्रान और ईसप के दृष्टान्तो जैसी काव्यमयी छोटी-छोटी कथाएँ बहु-प्रचलित की। उसी प्रकार से लघुतम कथाएं भी बहुत सी लिखी गई, जिनमें व्यग को प्रधानता दी गई है। चरित्रप्रवान, वातावरणप्रधान कहानियाँ घटनाप्रधान कहानियो से अधिक प्रचलित है। छोटी-छोटी कहानियां, जिनमें मोपासा की भाँति मानव-प्रकृति के कुछ वणित स्थलो का अकन हो या प्रो० हेनरी की भांति सहसापरिवर्ती अन्त से कोई चमत्कार घटित हो, या रूसो कथाकारो की भाँति वास्तविक जीवन की विषमता का कट-कठोर चित्रण हो-मराठी में अधिक प्रचलित है। इस सम्बन्ध में विशेष जानकारी के लिए सरस्वती-प्रेस से प्रकाशित गल्पससारमाला के मराठीविभाग की भूमिका पठनीय है। यहां तक सक्षेप मे मैने ढाई करोड मराठी-भाषियो के साहित्य के विकास और विस्तार की गत पाँच-छ शताब्दियो की कहानी प्रस्तुत की है । मेरा उद्देश्य मुख्यत मराठी न जानने वालो को मराठी साहित्य की बहुविध प्रगति से परिचित कराना मात्र है। अत कई स्थलो पर अधिक सूक्ष्म विवरण चाह कर भी नहीं दे पाया। स्थलमर्यादा का ध्यान रखने से मोटी-मोटो रेखामो मे स्थूल चित्र से ही सन्तोप मान लिया है। नागरी-प्रचारिणी सभा के अर्द्ध-शताब्दी महोत्सव के प्रसग पर गत पचास वर्षों का मराठी साहित्य का विस्तारपूर्वक इतिहास मैने सभा की आज्ञा से लिखा था। वह अभी अप्रकाशित रूप मे सभा के पास है । यदि अवसर मिला तो हिन्दी, वगला, गुजराती और मराठी साहित्य का तुलनात्मक इतिहास पुस्तक रूप मे हिन्दी-भाषियो के लिए लिखने की मेरी इच्छा है। उज्जैन ]
SR No.010849
Book TitlePremi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremi Abhinandan Granth Samiti
PublisherPremi Abhinandan Granth Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size34 MB
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