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________________ प्राकृत और संस्कृत पंचसंग्रह तथा उनका आधार श्री हीरालाल जैन सिद्धान्तशास्त्री वर्तमान जैन साहित्य में 'पचमग्रह' नाम के तीन ग्रन्य उपलब्ध है, जिनमें दो दिगम्बर अथ है और एक श्वेताम्बर। श्वेताम्बर पचमग्रह चन्द्रपि महत्तर ने पूर्वाचार्यों द्वारा रचे गये शतक, मप्नतिका, कपायाभूत, सत्कर्मप्राभूत और कर्मप्रकृति नामक पांच ग्रन्यो के आधार पर प्राकृत गाथानो मे रचा है और उसकी एक सस्कृत टीका भी स्वय रची है, जो कि मुक्ताबाई ज्ञानमदिर डभोड (गुजरात) से प्रकाशित हो चुकी है । दोनो दिगम्बर पचसग्रहों में से सस्कृत पचमग्रह अमितगति प्राचार्यकृत है और 'माणिकचद ग्रन्यमाला' मे प्रकाशित हो चुका है। प्राकृत पचसग्रह किसी अज्ञात आचार्य की रचना है और यह ग्रन्य अभी तक अप्रकाशित है। इन दोनो दिगम्बर पचमग्रहो के मिलान करने पर यह बात स्पष्ट रूप से ज्ञात हो जाती है कि प्राकृत पचसग्रह को सामने रखकर ही प्राचार्य अमितगति ने मस्कृत पचसग्रह को रचना की है । दोनो ही पचमग्रहो मे १ जीवममास, २ प्रकृतिसमुत्कीर्तन, ३ कर्मवन्वस्तव, ४ शतक और ५ सप्ततिका नाम के पांच प्रकरण है। प्रयम के तीन प्रकरणो मे अपने नामो के अनुरूप विषयो की चर्चा की गई है। चौथे और पांचवें प्रकरणो के नाम दोनो ही पचमग्रहकारोने किम दृष्टि से रखे है, यह बात सहसा ज्ञात नही होती-विशेषकर उस दशा में जव कि दोनो ही पचमग्रहो में उक्त प्रकरणो की पद्यमख्या क्रमश ३७५, ५१८ और ४५०, ५०२ है। आगे चल कर उनके नामकरण पर विशेष प्रकाश डाला जायगा। (१) संस्कृत पंचसंग्रह का आधार क्या है ? सर्वप्रथम यहां कुछ ऐसे अवतरण दिये जाते है, जिनसे दोनो दिगम्बर पचसग्रहो का आधाराधेयपना निर्विवाद माना जा सके। दिगम्बर प्राकृत और सस्कृत पंचसग्रह की तुलना प्रथम जीव-समास प्रकरण में से छद्दव्व णव पयत्ये दवाइ चउन्विहण जाणते । वदित्ता अरहते जीवस्स परूवण वोच्छ ॥१॥ प्राकृतपचस० ये पट् द्रव्याणि बुध्यन्ते द्रव्यक्षेत्रादिभेदत । जिनेशास्तास्त्रिया नत्वा करिष्ये जीवरूपणम् ॥३॥ सस्कृतपचस० सिक्खा किरिअोवएसा पालावगाही मणोवलवेण। जो जीवो सो सण्णी तब्धिवरीमो असण्णी य ॥१७३॥ प्राकृतपच० शिक्षालापोपदेशाना ग्राहको य समानस । स सज्ञी कथितोऽसज्ञी हेयादेयाविवेचक ॥३१९॥ सस्कृतपच०
SR No.010849
Book TitlePremi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremi Abhinandan Granth Samiti
PublisherPremi Abhinandan Granth Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size34 MB
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