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________________ प्राचीन आर्यों का जलयात्रा-प्रेम श्री कृष्णदत्त बाजपेयी एम्० ए० ぼく ससार के अन्य देशो से सम्बन्ध स्थापित करके उनको अपनी संस्कृति से प्रभावित करने के लिए भारतीय आर्यों ने बहुत प्राचीन काल से ही विदेश यात्रा को उपादेय समझा था । इस सम्बन्ध से सास्कृतिक लाभ के साथ-साथ व्यापार द्वारा आर्थिक लाभ का महत्त्व भारतीयों को सुविदित था । इसीलिए उन्होंने दूर- देशों को जाने के लिए जलमार्गों को खोज निकाला और फिर अनेक प्रकार के निर्मित जहाजों और नौकाओं पर आरूढ होकर वे स्वदेश का गौरव खाने के लिए विस्तृत समुद्रों में निकल पड़े। अपने महान् उद्देश्य की पूर्ति के लिए हमारे पूर्वव भायों में मार्ग की कठि नाइयो की परवाह न की । उनके दृढ अध्यवसाय के कारण भारत शताब्दियों तक ससार के व्यापार का केन्द्र बना रहा और सुदूर पश्चिम तथा सुदूर पूर्व तक इस देश के नेतृत्व की धाक जमी रही। आर्यों को नौका-निर्माण- कला तथा उनके जलयात्रा-प्रेम का परिचय हमारे सबसे प्राचीन ग्रन्थ ऋग्वेद प्राप्त होता है । इस ग्रन्थ में नौकाओं तथा समुद्र- यात्राभो के मनोरंजक वर्णन अनेक स्थानों पर मिलते हैं। एक जंगह ऋषि अपने इष्टदेव से प्रार्थना करते है- "हे देव, हमारे आनन्द भौर कल्याण के लिए हमको जहाज के द्वारा समुद्रपार से चर्चा" (१९७८) विष्णु के साथ मशिष्ठ की समुद्र यात्रा का वर्णन बहा रोचक है Keeee प भार्यों की जलयात्रा वरुण के लिए कहा गया है कि वे समुद्र का पूरा ज्ञान रखते हैं और उनके सिपाही समुद्र में चारो घोर फिरा करते हैं, (११२७) । कई स्थलों पर वरुण को जल का अधिपति कहा गया है । सम्भवत इसी आधार पर पौराणिक काल में वरुण के स्वरूप में जल-पूजन का महत्त्व हुआ और कालान्तर में जल ( सागर, सरिता और सर) के समीप बसे हुए स्थानो को तीर्थों के रूप में वडा गौरव प्रदान किया गया। I ऋग्वेद में लम्बी यात्राघ्रो में जाने वाले जहाजो के भी उल्लेख मिलते हैं। ऋषि तुप ने अपने लड़के भुज्य को एक बहुत बडे जहाज में बैठाकर शत्रुओं से लडने को भेजा था (१।११६३३) । बहुत सम्भव है कि वैदिक काल में, ऐसे ही बढे जहाजों पर बैठकर विश् ('पणि') लोग पश्चिमी देशो तक जाते थे और वहाँ से व्यापार-विनिमय करते کا
SR No.010849
Book TitlePremi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremi Abhinandan Granth Samiti
PublisherPremi Abhinandan Granth Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size34 MB
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