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________________ पृथ्वीराजरासो को विविध वाचनाएं १३१ मध्यम वाचना' मे ४० से ४७ तक ममय है और इसका परिमाण दन-बारह सहन ग्लोक तक का है। इसके पहले दो समयो का सम्पादन महामहोपाध्याय प० मयुराप्रसाद दीक्षित ने लाहौर के अोरियटल कालिज मेगज़ीन (हिन्दी विभाग) में किया है । यह विद्वान् इने अमली रामो मानते है। . लघु वाचना' में १९ समय और दो सहन के लगभग पद्य है। इसका परिमाण केवल तीन हजार पाँच मौ ग्लोक के करीवही वैठता है। इसका पता टेमिटरी ने लगाया था, जिन्होने सन् १९१३ में सर्वप्रथम रामो की दो वाचनाओं को सम्भावना की और नकेत किया था। किन्तु विद्वानो ने इस ओर विशेष ध्यान नहीं दिया। एक-दो प्रतियो में इन वाचनायो में से दो या तीनो ही के पाठ का सम्मिश्रण भी दृष्टिगोचर होता है, जैसे पूना की प्रति न० १४५५॥ १८८७-६१ में। ___वाचनाओं का विषय-विश्लेषण-रासो को लघु वाचना' में निम्नलिखित घटनाएं वर्णित है(१) दशावतार-वर्णन (कृष्णचरित विशेप विस्तृत है)। (२) चौहान वश का इतिहास और पृथ्वीराज का जन्म । (२) पृथ्वीराज का धन प्राप्त करना और दिल्ली गोद जाना। (४) सयोगिता का जन्म, विनय-मगल पाठ, पृथ्वीराज द्वारा जयचन्द के यज्ञ का विध्वम तया मयोगिता-अपहरण और दम्पति-विलाम। (५) पाटण के भोला भीम पर पृथ्वीराज की विजय । (६) कमास-वध। (७) जैतखभ-आरोपण और वीर का गोरी के हाथो पकड़ जाना। (८) पृथ्वीराज और गहाबुद्दीन गोरी के युद्ध (क) प्रयम युद्ध जव पृथ्वीराज भीम से लड रहा था। (ख) द्वितीय युद्ध जिसमें शहाबुद्दीन घोर के हाथो वन्दी हुआ। (ग) अन्तिम युद्ध जिनमे पृथ्वीराज स्वय वन्दी हुआ। (९) वाण-वेव । __ मध्यम वाचना में लघु वाचना का सारा विषय कुछ विस्तृत रूप में मिलता है और इसके अतिरिक्त कई अन्य घटनाओ का वर्णन भी मिलताहै, जैसे अग्निकुड से चौहान वनकी उत्पत्ति; पद्मावती, हमावती, गशिव्रता, पडिहारनी आदि अनेक राजकुमारियो से पृथ्वीराज का विवाह, पृथ्वीराज के विविध युद्ध, पृथ्वीराज और शहाबुद्दीन में अनेक वार युद्ध होना तथा हर वार शहाबुद्दीन का वन्दी होना, भीम द्वारा सोमेश्वर वव, आदि-आदि। ___ रामो की वृहद् वाचना में लघु वाचना का विषय विशेष विस्तार से मिलता है और इसके अतिरिक्त इसमें मध्यम वाचना की घटनाग्री तया ऐमी अनेक अन्य घटनाग्मो का समावेश भी है। 'मध्यम वाचना की प्रतियां बीकानेर, लाहौर, पूना तथा कलकत्ता में मिली है। 'फरवरी, मई, अगस्त सन् १९३५; फरवरी, मई सन् १९३८ । 'लघु वाचना को तीन प्रतियाँ बीकानेर फोर्ट लाइब्रेरी में उपलब्ध हुई है। इनमें से एक की प्राधुनिक प्रतिलिपि लाहौर को पजाव युनिवसिटी लाइब्रेरी में भी है। "टेसिटरो : उपर्युक्त, पोयी २४ का विवरण। "यह सं० १८०५ की लिखित है और प्रारम्भ में इसका पाठ प्राय. लघु वाचना से मिलता है, किन्तु हाँसी युद्ध तया कन्नौज खड वृहद् वाचना के आधार पर लिखित प्रतीत होते है। 'देखिए श्री वशरय शर्मा का उपरोक्त लेख ।
SR No.010849
Book TitlePremi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremi Abhinandan Granth Samiti
PublisherPremi Abhinandan Granth Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size34 MB
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