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________________ अश्वो के कुछ विशिष्ट नाम ८५ के आने के पूर्व भारतीय साहित्य मे कही भी 'अफीम' का नाम नही था। सम्भवत यह निवन्ध सन् ८०० और १२०० के वीच लिखा गया था। नकुल द्वारा रचित 'अश्वचिकित्सित' नामक अश्व-सम्बन्धी निवन्ध में, जिसका सम्पादन सन् १९८७ मे विब्लिोथिका इडिका मे उल्लिखित जयदत्त के ग्रन्थ के सम्पादक ने किया था, हेमचन्द्र, सोमेश्वर और जयदत्त द्वारा बताये गये घोडो के नाम नही आते। फिर भी नकुल के ग्रन्थ के तीसरे अध्याय में वर्णों के आधार पर घोडो का उल्लेख है, पर उनके नाम भिन्न है। वे नाम सस्कृत मे है, 'देशी प्राया' नही है, जैसा कि हेमचन्द्र ने लिखा है। नीचे की तालिका मे मै सविस्तर वर्णों के हिसाब से घोडो के कुछ विशेप नाम देता हूँ, जिनका उल्लेख जयदत्त ने अपने 'अश्ववैद्यक' में किया है 20 नं० नाम नाम वर्ण १ कोकाह (ह-२) २ खुङ्गाह (पिङ्गाह) श्वेत कृष्ण विवरण श्वेत कोकाह इत्युक्त कृष्ण खुनाह उच्यते ३ हरित (ह-५-१७) पीतक पीतको हरित प्रोक्त ४ कषाय रक्तक कषायो रक्तक स्मृत ५ कयाह (स-८) पक्वतालनिभ पक्वतालनिभो वाजी कयाह परिकीर्तित । ६ सेराह (ह-४) (स-५) पीयूषवर्ण पीयूषवर्ण सेराह ७ सुरुहक (ह-१२) गईभाभ गईभाभ सुरुहक ८ नील (ह-८) (स-७) नीलक नीलो नीलक श्यावाश्व ६ त्रियूह (ह-६) कपिल त्रियूह. कपिल स्मृत १० खिलाह (शिलह) कपिल खिलाह कपिलो वाजी पाण्डुकेशरवालधि । ११ हलाह (ह-२०)(स-१८) चित्रल हलाह' चित्रलश्चैव १२ खड्गाह (खेगाह) श्वेतपीतक खगाह श्वेतपीतक १३ कुलाह (ह-१४) ईषत्पीत ईषत्पीत कुलाहस्तुयोभवेत्कृष्णजानुक १४ उराह (उरूह) कष्ण-पाण्डु कृष्णाचास्ये भवेल्लेखा पृष्ठवशानुगामिनी।। (ह-११) (स-१३) इत्यादि उराह कृष्णजानुस्तु मनाक्पाण्डु स्तु यो भवेत् ॥१०४॥ १५ वेरुहान (वीरहण) पाटल वेरुहानः स्मृतो वाजी पाटलो य प्रकीर्तित । (ह-१३) रक्तपीतकषायोत्यवर्णजो यश्च दृश्यते ॥१०॥ १६ उकनाह (दुकूलाह) देहज वर्ण उकनाह स विख्यातो वर्णों वाहस्य देहज । (ह-१५) १७ कोकुराह मुखपुण्ड्रक के साथ कोकाह पुण्डकेणाश्व कोकुराह प्रकीर्तित १८ खरराह खरराहश्च खड्गाहो (पुण्ड्रकेण) १६ हरिरोहक हरिको हरिरोहक (पुण्ड्रकेण) 'हेमचन्द्र के प्राश्रयदाता जयसिंह सिद्धराज (ई० १०९३-११४३) की राजधानी अणहिलपुर में अल इद्रिसी नामक भूगोल-विशेषज्ञ गया था। वह लिखता है-"शहर में बहुत से मुसलमान-व्यापारी है, जो यहां व्यापार करते है। राजा उनका खूब सत्कार करता है।". (देखिये पार० सी० पारीख कृत काव्यानुसार की भूमिका, पृष्ठ १९४, बम्बई, १९३८, । स-सोमेश्वर।
SR No.010849
Book TitlePremi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremi Abhinandan Granth Samiti
PublisherPremi Abhinandan Granth Samiti
Publication Year
Total Pages808
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size34 MB
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