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________________ cano ab tat ॐॐ आश्चर्यचतुर्दशी. तीन अर्थ ( १ घड़ा नहीं, घड़ी (वाच) नहीं, ३ बनी नहीं. ) इस प्रकार करनेसे निकलते हैं तृतीय पादके तीन प्रश्नोंका उत्तर भरी न के तीन अर्थ (१ भरी नहीं गई २ भरी नहीं, ३ जलसे मरी नहीं ) से निकलता है. और चतुर्थ पादके प्रश्नोंका उत्तर 'धरी न' के तीन अर्थ ( १ पंसेरी नहीं, २ रक्खी नहीं है ३ धारण नहीं की, ) निकालनेसे मिलता है ॥ ६ ॥ प्रश्न. दोहा. पूछत हैं जन जैनको, चिदानंदसों वात ॥ आये हो किस देशतें, कहो कहां को जात ॥ ७ ॥ १९१ देश तो प्रसिद्ध है निगोद नाम सिंधुमहा, तीनसे तेताल राजु जाको परमान है। तहांके वसैया हम चेतनके वसवारे, बसत अना दिकाल वीत्यो विन ज्ञान है ॥ तहाँ निकस कोऊ कर्म शुभ जोग पाय, आये हम इहां सुने पुरुष प्रधान है । ताके पाँय परवेको महात्रत धरवेको, शिष्य संग करवेको चलिवो निदान है ॥ ८ ॥ एक दिन एकठौर मिले ज्ञान चारितसों, पूछी निज वात कहां रावरो निवास है । वोले ज्ञान सत्यरूप चिदानंद नाम भूप, असंख्यात परदेश ताके पुरवास है । एक एक देशमें अनंत गुण ग्राम बसै, तहांके बसैया हम चरणोंके दास हैं । तूहू चल मेरे संग दोऊ मिलि लूटें सुख, मेरे आँख तेरे पांय मिलो योग खास हैं ॥ ९ ॥ लाल वस्त्र पहिरेसों देह तो न लाल होय, लाल देह भये हंस लाल तौ न मानिये | वस्त्रके पुराने भये देह न पुरानी होय, दे हके पुराने जीव जीरन न जानिये ॥ वसनके नाश भये देहको dos de de de de de de de de de discut de de de d para
SR No.010848
Book TitleBramhavilas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granth Ratnakar Karyalay
Publication Year
Total Pages312
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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