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________________ . . . RESPONGENGRepraneporoscmpeRORRRRRH तीर्थकरजयमाला. १०५६ ! ... - दोहा. यह निश्चय परमात्मा, ताको शुद्ध विचार ॥ . • जामें पर परसै नहीं, "भैया' ताहि निहार ॥ ७॥ इति परमात्माकी जयमाला । oraise awarene अथ तीर्थंकरजयमाला । दोहा. श्रीजिनदेव प्रणाम कर, परम पुरुष आराध ॥ कहाँ सुगुण जयमालिका, पंच करणरिपु साध ॥१॥ पद्धरिछंद. जयजय सु अनंत चतुष्टनाथ । जयजय प्रभुमोक्ष प्रसिद्ध साथ ॥ जय जय तुम केवल ज्ञानभास। जय जय केवल दर्शन प्रकाश ॥२॥ जय जय तुम वल जु अनंत जोराजय जय सुख जासन पारओ " जय जय त्रिभुवन पति तुम जिनंद । जय जय · भवि कुमदनि पूर्णचंदः ॥ ३॥ जय जय तम नाशन प्रगट भान । जय जय जित इंद्रिन तू प्रधान ॥ जय जय चारित्र सु यथाख्यात। जय जय अघनिशि नाशन प्रभात ॥ ४॥ जय जय ‘तम मोहनिवार वीर। जय जय अरिजीतन परम धीर ॥ जय जय मइनमथमर्दन मृगेशं । जय जय जम जीतनको रसेश ॥ ५॥जहै य जय चतुरानन होप्रतक्ष जय जय जग जीवन सकल रक्ष | जय जय तुमक्रोध कपाय जीताजय जय तुम मान हरयो अजीत॥ जय जय तुम मायाहरन सूर । जय जय तुम लोभनिवारं मूरं ॥ जय जय शत इंद्रन वंदनीक । जय जय अरिं सकल निकंद SO/0200/RPAGE0930PMORPOROMORRORE ElepproapapnaDeoproposes/enuwesournabrbaprapaparvasnawwanapanasansopray d oreaborepetada per darrera eta eropangas
SR No.010848
Book TitleBramhavilas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granth Ratnakar Karyalay
Publication Year
Total Pages312
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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