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________________ wrswerNrwarm... et oorwegian e iepatiwangwuwensvansenesen w SEAR/AntonGIRDNYOORARWARRIORDERARMER वर्तमानजिनविंशतिका. १०३ श्रीमहाभद्रनिनस्तुति. सवैया. महाभद्र स्वामी तुम नाम लिये, सीझै सब काम विचारनको पिता देवराज उमादे माय, भली. विजया निसतारनके।। शशि सेवै आय लगै, तुम पाय भले जिनराय उधारनके । किरपाकरि नाथ गहो हम हाथ, मिलैजिनसाथ-तिहारनके||१८ श्रीदेवजसजिनस्तुति. छप्पय. . . . जिन श्रीदेवजस स्वामी, पिताश्नवभूत भनिन । लच्छन स्वस्तिक पांव, नांव तिहुँ लोक गुणिज्जै ॥ पावहि भविजन पार, मात गंगा सुखधारहिं । नगर सुसीमा जन्म आय, मिथ्यामति टारहि ॥ प्रभु देहिं धरम उपदेश नित, सदा बैन अम्रत झरहिं । तिन चरणकमल वंदन करत, पापपुंज पंकति हरहिं ॥१९॥ . श्रीअनितवीर्यजिनस्तुति. छप्पय. वर्तमानजिनदेव पद्म, लच्छन तिन छाजै। .. अजितवीर्य अरहंत, जगतमें आप विराजै॥ । पद्मासन मंगवंत, ध्यान इक निश्चय धारहि। . आवहि सुरनरवृंद, तिन्हें भवसागर तारहि ॥ .. नगर अजोध्यांजन्मजिन, मात कननिका उरधरन । तस चरन कमल वंदत भविक जैजै जिनआनँद करना२०॥ POPoproopPGD0GOOGpranapremc0mpoooooooooooooran000pOULS . . : . दोहा... . . . . . . . . : वर्तमान वीसी करी, जिनवर वंदन-काज ||... - जे नर पढ़ें विवेकसों, ते पावहिं शिवराज ॥२१॥ Mananp/nREPORO/AROAmpApronpronococcDRA
SR No.010848
Book TitleBramhavilas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granth Ratnakar Karyalay
Publication Year
Total Pages312
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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