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________________ कुगल वक्ता "भाइयों । आप घबड़ाइये मत । आपके सामने ये जो साधु बंटे है, वे आप जैसे ही आदमी है। श्रेष्ठ आदमी है। सिर्फ पभूषाको देखकर आप इनसे दूर मन भागिए। ये तपस्वी है। इनके जीवन की कठोर साधना है। ये पढ़े लिखे हैं। इनका साग समय गम्भीर अध्ययन, चिन्तन मनन वीतता है। आप इनके सम्पर्कमे बात कुछ सीख सकते है।" दोक्षणमे स्थिति बदल गई। उन्हें आन्तरिक जितानाका समाधान मिल गया। एमलिए वे इस आशंकास हटकर प्रवचन सुननं एकानो गये। आपके व्यारल्यानका सबसे बड़ी विशेषता यह है कि आप किमी पर आक्षेप नहीं करते। जो बात करते हैं. वह निद्धात के रूपये परते।
SR No.010846
Book TitleAcharya Shree Tulsi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmalmuni
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year
Total Pages215
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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