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________________ ६८ आचार्य श्री तुलसी सुनते बीडीके बण्डल फेक दिए, चिलमे फोड दी, आजीवन उसमे मुक्त हो गए। कानूनकी अवहेलना कर मग पीनेवालोने मय छोड़ दिया। और क्या, चोरबाजारी जैती मीठी छरी खानेवाले, भी आपकी वाणीसे हिल गये। वाणसे न हिलनेवालों को भी __वाणो हिला देती है. इसकी सच्चाई मे किसे सन्देह है। इस नवयुगकी सन्धि-बेलामे नवीनता-प्राचीनताका जो संघर्ष ___ चल रहा है, उसे सम्हालने तथा वुड्ढो और युवकोको एक ही ___ पथ पर प्रवाहित करनेमे आपकी वाक-शक्तिक महज दर्शन मिलते है। आप व्याख्यान देते-देते श्रोताओकी मनोदशाका अध्ययन करते रहते है। आचाराग सूत्रमे बताया है कि व्याख्याताको परिपद्की स्थिति देखकर हो व्याख्यान करना चाहिए | अन्यथा लाभके बदले अलाभ होनेकी सम्भावन रहती है। श्रोताकी तात्कालिक जिज्ञासाका स्वयं समाधान होता रहे, यह वक्त त्वका विशेष गुण है। गवनमेट कालेज, लधियाना' मे एकवार आप प्रवचन कर रहे थे। वहा धर्म प्रवचनका यह पहला अवसर था। बहुत सारे हिन्दू और सिस्व विद्यार्थी जैन-साधुओंको चर्यासे अनजान थे। उन्हे साधुओंको वेपभूपा भी विचित्र सी लग रही थी। वे प्रवचनकी अपेक्षा बाहरी स्थितियों पर अधिक ध्यान किये हुए थे। आपने स्थितिको देखा। उसी वक्त बाहरी स्थितिसे दूर भागने वाले विद्यार्थियों को सम्बोधन करते हुए कहा
SR No.010846
Book TitleAcharya Shree Tulsi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmalmuni
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year
Total Pages215
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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