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________________ वार्षिक कार्यक्रम १ वर्ष के दिन होते है करीब ३६० । घड़ियों और पलों की गिनती इससे भी बडी होती है । महापुरुषके कार्यकलाप इससे भी आगे डग भरते है । कल्पना और रूप-रेखाओंकी तो बात ही क्या ? अगर मैं भविष्यद्रष्टा योगी या कल्पना - गृहका कुशल शिल्पी होता तो तूलिकाकी एक रेखामे सारा चित्र खींच डालता, किन्तु मैं वैसा नहीं जानता । छोटा-मोटा आदमी स्थूल जगत्को ही अपना केन्द्र-बिन्दु माने चलता है । "तेते पाव पसारिये जेती लम्बी सोड" - यह मुझे याद है । मैं वारीकीको छोड़ कर चलू, उसमे मेरा उपहास नहीं होगा । आचार्यश्रीका वार्षिक कार्यक्रम एक विशाल पोथी है । उसके
SR No.010846
Book TitleAcharya Shree Tulsi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmalmuni
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year
Total Pages215
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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