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________________ आचार्य श्री तुलमी " अध्यात्मप्रधान भारतीयों में अमानवीय बातें अधिक अखरने वाली है ।" "वह दिन आनेवाला है, जब कि पशुवलसे उकताई हुई दुनिया भारतीय जीवन से अहिंसा और शान्तिकी भीख मागेगी ।" "हिंसा और स्वार्थकी नींव पर खड़ा किया गया वाद भले ही आकर्षक लगे, अधिक टिक नहीं सकता ।" “प्रकृतिके साथ खिलवाड करनेवाले इस वैज्ञानिक युगके लिए शर्म की बात है कि वह रोटीकी समस्या को नहीं सुलझा सकता । सुखसे रोटी खा जीवन विताना, इसमे बुद्धिमान् मनुष्यकी सफलता नहीं है । उसका कार्य है आत्मशक्तिका विकास करना, आत्मशोधनोन्मुख ज्ञान-विज्ञानकी परम्पराको आगे बढाना ।" आपके शब्दों मे हमे नास्तिकताकी वडी युगानुकूल व्याख्या मिलती है । "आज की दुनियाकी दृष्टि धन पर ही टिकी हुई है । धनके लिए ही जीवन है, लोग यों मान बैठे है । यह दृष्टिदोष है - नास्तिकता है । जो वस्तु जैसी नही, उसको वैसी मान लेना ज्यों मिथ्यात्व है, त्यों साधनको साध्य मान लेना क्या नास्तिकता नहीं है ? धन जीवनके साधनोंमेंसे एक है, साध्य तो है ही नहीं। इस नास्तिकताका परिणाम - पहली मंजिलमे शोपण आखिरी मंजिल युद्ध है ।" में आप सामयिक पदार्थाभावका विश्लेषण करते हुए वडा ८४ :--
SR No.010846
Book TitleAcharya Shree Tulsi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmalmuni
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year
Total Pages215
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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