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________________ प्रवचनकी पखुडिया सुधार भूल जाता है। यह क्या है ? क्रान्ति है या भ्रान्ति ? युवक स्वयं निर्णय करें। सुधारका नशा नहीं होना चाहिए। सुधारक नई-पुरानी से नहीं उलझता। वह संयमकी ओर बढ़ता चला जाता है, अकेला नहीं दूसरोको साथ लिये लिये।" ___ आप अपने विचारोमे स्पष्ट है। प्रवचनके समय आप विचारोंको सूत्ररूपमे रखते है। वे थोडेमे ठेठ जनताके दिलमे चुभ जाते है। उदाहरणके रूपमे देखिये - ___"विश्वशान्तिके लिए अणुवम आवश्यक है, ऐसी घोपणा करनेवालोंने यह नहीं सोचा-यदि वह उनके शत्रुके पास होता तो ।' _ "दूसरा आपको अपना शिरमौर माने-तब आप उसके सुख-दुखकी चिंता करें। यह भलाई नहीं, भलाईका चोगा है।" ___ "मैं किसी एककेलिए नहीं कहता, चाहे साम्यवादी, समाजवादी या दूसरा कोई भी हो, उन्हें समझ लेना चाहिए कि दसरे का इस शर्त पर समर्थन करना कि वे उनके पैरों तले चिपटे रहें, स्वतन्त्रताका समर्थन नहीं है।" "न्याय और दलबन्दी ये दो विरोधी दिशाएं है। एक व्यक्ति एक साथ दो दिशाओंमे चलना चाहे, इससे बड़ी भूल और क्या हो सकती है ?" __"स्वतन्त्र वह है, जो न्यायके पीछे चलता है। स्वतन्त्र वह है, जो अपने स्वाथके पीछे नहीं चलता । जिसे अपने स्वार्थ और गुटमे ही ईश्वर-दर्शन होता है, वह परतन्त्र है।"
SR No.010846
Book TitleAcharya Shree Tulsi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathmalmuni
PublisherAdarsh Sahitya Sangh
Publication Year
Total Pages215
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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