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________________ ८४२ प्रदेश समय परमाणु द्रव्य गुण पर्याय जड चेतन सव जीव सुखको चाहते हैं । दुःख सबको अप्रिय है | श्रीमद् राजचन्द्र ४ ॐ नमः ॐ नमः मूल द्रव्य शाश्वत । मूल द्रव्य :-- जीव, अजीव पर्याय : – अशाश्वत । अनादि नित्य पर्याय : मेरु आदि । ॐ नमः दुःखसे मुक्त होना सब जीव चाहते हैं । उसका वास्तविक स्वरूप समझमें न आनेसे वह दु:ख नष्ट नहीं होता । उस दुःख के आत्यंतिक अभावका नाम मोक्ष कहते हैं । अत्यन्त वीतराग हुए बिना आत्यंतिक मोक्ष नहीं होता । सम्यग्ज्ञानके बिना वीतराग नहीं हुआ जा सकता । सम्यग्दर्शनके बिना ज्ञान असम्यक् कहा जाता है । [ संस्मरण-पोथी ३, पृष्ठ ११] सम्यग्ज्ञानदर्शनसे प्रतीत हुए आत्मभावसे आचरण करना चारित्र है । इन तीनोंको एकतासे मोक्ष होता है। जीव स्वाभाविक है । परमाणु स्वाभाविक है । जीव अनंत है । [संस्मरण-पोथी ३, पृष्ठ १३ ] [ संस्मरण-पोथी ३, पृष्ठ १५ ] वस्तुकी जिस स्वभावसे स्थिति है, उस स्वभावसे उस वस्तुकी स्थिति समझमें आना उसे सम्यग्ज्ञान कहते हैं । [ संस्मरण-पोयी ३, पृष्ठ १६]
SR No.010840
Book TitleShrimad Rajchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Jain
PublisherShrimad Rajchandra Ashram
Publication Year1991
Total Pages1068
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Rajchandra
File Size49 MB
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