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________________ सस्कृत साहित्य का इतिहास से अधिक मिलता जुलता है । श्लेगल' ने बंगाली संस्करण को अधिक पसन्द किया था । बोटलिंग इस परिणाम पर पहुंचा था कि पुराने शब्द बरुबई संस्करण में अधिक मिलते हैं। ऐखिहासिक प्रमाण द्वारा हम कुछ अधिक सिद्ध नहीं कर सकते । इरिवंशपुराण के सर्ग २३७ में रामायण विषयक उल्लेख बंगाली संस्करण से अधिक मिलते जुलते हैं। आठवीं और नौवीं शताब्दी के साहित्य में श्राए रामायण-विषयक वर्णन बम्बई संस्करण से अधिक सम्बन्ध रखते हैं । बारहवीं शताब्दी के क्षेमेन्द्र की रामायणमंजरी से सिद्ध होता है कि उस समय काश्मीरिक संस्करण विद्यमान था। ग्यारहवीं शताब्दी के भोज के रामायण चम्पू का श्राधार बम्बई-संस्करण है। सच तो यह है कि इन संस्करणों ने विभिन्न रूप अब से बहुत काम पहले धारणा कर लिए थे । तब से लेकर वे उसी रूप मे चले पा रहे हैं। केवल एक के श्राधार पर दूसरे में बही परिवर्तन हुा है, जहाँ ऐसा होना अछ असम्भव था । (घ) वर्णनीय विषय----रामायया में लगभग चौबीस हजार श्लोक है। सारा ग्रंथ सात कांडों में विभता है। ___कांड :--(बाल-क्रांड) इसमें राम के नवयौवन, विश्वामित्र के साथ जाने, उसके यज्ञ की रक्षा करने, राक्षसों के मारने और सीता के साथ विवाह हो जाने का वर्णन है। काण्ड २-(अयोध्या कांड)। इसमें राम के राजतिलक की तैयारी, १. 'वाल्मीकि रामायण-टिप्पणियो और अनुवाद के साथ मूल अंथ (३ जिल्द) सन् १८२६ से १८३८ तक। २ बंगाली संस्करण का प्रादुर्भाव बंगाल में हुअा, जो गौडी रीति से पूर्ण श्रेण्य संस्कृत साहित्य का केन्द्र था और जहाँ ऐतिहासिक महाकाव्य की भावना की स्वतन्त्रता का लोप हो चुका था। यही बात काश्मीरिक संस्करण के बारे में भी जाननी चाहिए । अंतर इतना ही है कि बंगाल में गौडी रीलि अधिक प्रचलित थी तो इस और पाञ्चाली। .
SR No.010839
Book TitleSanskrit Sahitya ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Agrawal, Lakshman Swarup
PublisherRajhans Prakashan
Publication Year1950
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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