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________________ २६ संस्कृत साहित्य का इतिहास 4 रामायण की कथा के दो सौ से भी अधिक दृश्य खुदे हुए हैं । जावा और माया के अनेक ग्रन्थों में राम के अनेक वीरतापूर्ण कार्यों का वर्णन मिलता है। सियाम, बाली तथा इनके समीप के अन्य द्वीपों में रामायण के मुख्य मुख्य पात्रों की बड़ी हो सुन्दर कलापूर्ण मूर्तियाँ पाई जाती हैं । 1 जब हम भारत की वर्तमान भाषाओं की ओर आते हैं, तब देखते हैं कि ग्यारहवीं शताब्दी में रामायण का अनुवाद दामिल भाषा में हो गया था । प्रत्येक विद्यार्थी जानता है कि तुलसी रामायण ( रामचरित मानम ) उत्तर भारत में कितनी सर्वप्रिय है और भारत के करोडों निवासियों की संस्कृति और विचारधारा पर इसका कितना प्रभाव है मि और हिन्दी को छोड़कर भारतीय अन्य भाषाधों में भी रामायण के अनुवाद या कॉट-छाँटकर तैयार किये हुए रूपान्तर विद्यमान है । रामनवमी, विजयदशमी (दशहरा) और दिवाली त्यौहार भी राम के जीवन से सम्बद्ध हैं, जिन्हें करोडो भारतनिवासी बडे उत्साह से मनाते हैं । रामायण के प्रथम काण्ड में कहा गया है कि ब्रह्मा ने वाल्मीकि मुनि को बुलाकर राम के वीर्यो की प्रशस्ति तैयार करने को कहा और उसे आशा दिलाई कि जब तक इस हद स्थित पृथिवी पर नदियाँ बहती रहेंगी और पर्वत खड़े रहेंगे, तब तक सारे जगत् में रामायण विद्यमान रहेगी। (ख) महत्त्व - ऐतिहासिक एवं अलंकृत काव्य की दृष्टि से ही रामायण महत्वास्पद नहीं है, अपितु यह हिन्दुओं का आधार शास्त्र भी है | रामायण की शिक्षाएँ व्यावहारिक हैं । श्रतः उनका समकमा भी सुगम है। रामायण में हमें जीवन की सूक्ष्म और गम्भीर समस्याएँ साफ-साफ खुल हुए रूप में मिल जाती हैं । पाठक स्वयं जान लेता है कि जीवन में आदर्श भाई, श्रादर्श पति, आदर्श पत्नी, आदर्श सेवक, श्रादर्श पुत्र और आदर्श राजा (राम) को कैसा व्यवहार करना चाहिए ।
SR No.010839
Book TitleSanskrit Sahitya ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Agrawal, Lakshman Swarup
PublisherRajhans Prakashan
Publication Year1950
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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