SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 238
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अध्याय १३ लोकप्रिय कथाग्रन्थ । (८२) गुणाढ्य की बृहत्कथा । भारतीय साहित्य में जिन लोकप्रिय कथाओं के उल्लेख मिलते हैं उनका सबसे युगना अन्य गुणान्य की वृहरकथा है। मूल ग्रन्थ पैशाची भाषा में था। वह अब लुप्त हो चुका है। परन्तु इसके अनुवाद या वित संस्करण के नाम से प्रसिद्ध ग्रन्थों के आधार पर इस ग्रन्थ के और इसके रचयिता के लम्जन्त्र में कुछ धारणाएं की जा सकती हैं। इस सम्बन्ध में हारमीर से उपलब्ध क्षेमेन्द्र को बृहत्कथामनरी और सोमदेव का कथासरित्सागर तथा नेपाल से प्राप्त बुद्धस्वामी का बृहत्कथाश्लोक संग्रह' मुख्य अन्ध हैं। (क) कवि-जीवन-काश्मीरी संस्करणों के अनुसार गुणात्य का जन्म गोदावरी के तट पर बसे प्रतिष्ठान नगर में हुआ था । वह थोड़ी सी संस्कृत जानने वाले नप पातवाहन का बड़ा कृपापान था । एक दिन जल-विहार के समय रानी ने हाजा से कहा, मोदकैः--उदक मा. अर्थात् जलों ले न । सन्धिज्ञान से शून्य राजा ने इसका अर्थ समझा १ऐसी कथाएँ समाज के उच्च श्रेणी के लोगों की अपेक्षा साधारण श्रेणी के लोगों में अधिक प्रचलित हैं । इन दिनो भी ग्विाज है कि शाम के समय बच्चे घर की बूढ़ी स्त्री के चारों ओर इकठे हो जाते हैं और उसमे अपनी मातृभाषा में रोचक कहानिया सुनते हैं ।
SR No.010839
Book TitleSanskrit Sahitya ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Agrawal, Lakshman Swarup
PublisherRajhans Prakashan
Publication Year1950
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy