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________________ -काव्य और चम्पू २०६ saire ही आनन्द का गया । उसके बाद उन प्रणमि-युगों में से प्रत्येक एक पक्ष के लिए भी एक दूसरे से पृथक् नहीं हुआ । साहित्यिक विशेषता - साहित्यिक विशेषता की दृष्टि से कादम्बरी, जो एक कथा ग्रन्थ है, बाया की अन्य रचना हर्षचरित से, जो एक श्रापाविका प्रन्य है, बकर दे। कादम्बरी और महाश्वेता के प्राय की Tags कथा बड़े कौशल से परस्पर गूंथी गई है। सच तो यह है कि जगत् के साहित्य इतिहास में ऐसे अन्य बहुत दो रूम में संस्कृत में तो कोई है ही नहीं । यद्यपि यह अन्य गद्य में है, तथापि रसपूर्ण' और अलङ्कारयुक्त होने के कारण भारतीय साहित्यशास्त्रियो ने इसे काव्य का नाम दिया है । अङ्गी रस कार है। इसका विकाव बड़ी निपुणता से किया गया है। मृत्यु तक को करते हुए काम की दखों दशाओं को दिखाने में यह कवि जैसा सफल हुआ है वैसा इससे पहले या इसके बाद कोई दूसरा नहीं । अन रखों में अद्भुत और करुण उल्लेखनीय हैं। इनके उदाहरणों की अन्य में कमी नहीं है । क में श्लेष बहुत अधिक पाया जाता है। दूसरे दर्जे पर ब्रेक और वृत्त्यनुप्रास हैं। सनोपमा का उदाहरण देते हुए कहा गया है, "कपिल पुपहरी के लिए ऐसा ही था जैसे सौन्दर्य को यौन, यौवन को अनुराग और अनुराग को वसन्त" अन्य - कारों का वर्णन करने के लिए यहाँ अवकाश नहीं है। वस्तुतः बाण संस्कृत साहित्य के श्रष्ट कक्षाकारों में गिना जाता है। गोवर्धनाचार्य Refer में कहा है ' 1 आता शिखण्डिनी प्राग् यथा शिखण्डी तथावगच्छामि । गा वाणी वाणो बभूवेति ॥ १ देखिये वाक्यं रसात्मकम् काव्यम् । २ उदाहरणार्थ चन्द्रमा और पुडरीक के क्रमिक अवतार । १ उदाहरणार्थ, प्राणियों के मृत्यु के बाद कादम्बरी और महाश्वेता की अवस्थाओं के तथा वैशम्पायन की मृत्यु पर चन्द्रापीड की अवस्था का वर्णन | ४ मेरा अनुमान है कि जैसे
SR No.010839
Book TitleSanskrit Sahitya ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Agrawal, Lakshman Swarup
PublisherRajhans Prakashan
Publication Year1950
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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