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________________ জুল ও জুঃ ছমিছা अपि भौशिक परम्परा मे उसे सुरक्षित किया है, समाधि इभ माही का सकते कि हमें प्रक्षेप और अत्युक्ति मिल नहीं है। (३) तीसरे नम्बर पर होमन्य हैं जिनमें बुद्ध के सम्बन्ध में अनेक अपाख्यान है परन्तु सच को मिला-जुलाकर देख लो उनमें ऐतिहासिकता का अमाय दिखाई देता है। ध्यान देने की बात यह है कि महामाम का महावंश तक अशोक के जीवन के सम्बन्ध में ऐतिहासिक विवरण महीं देखा। (e) इतिहास नाम के योग्य ऐतिहासिक ग्रन्थ जन-साहित्य में भी माही पाए जाते पावलियों में जैनाचार्यों के सूजीएत्रों के अतिरिक्ष और एक नहीं है। (३) शिला लेखों को प्रशस्तियो' भारत में वास्तविक इतिहास की मोर प्रथम प्रयास है। (६) बाइपसिराज के गबर को इतिहास के पास पहुँचने वाला अन्य कह सकते है। इसमें इसके प्राश्रयदाता कन्नौज के अधीश्वर यशोवर्मा ( १७. ई. के आस पास ) के द्वारा गौर देश के किसी राजा के वध का वर्शक है और भारतीय ग्रामीण जीवन के कुछ विशद चित्र है; परन्तु इसमें इतिहासस्थ को अपेक्षा काव्यत्व अधिक है। यह भी ध्यान देने योग्य बात है कि गौड़ देश के राजा तक का नाम नहीं दिया गया है। अब हम ऐतिहासिक-कान्य जगतू के महत्वपूर्ण अन्धों की ओर - - १ये प्रशस्तिया समकाल-भव राजाश्रो अथवा दानियो की, काव्यशैली में लिखी, स्तुतियां हैं । इनका प्रारम्भ ईसा की दुसरी शताब्दी में होता है। २ देखिये पीछे खल्ड ३६
SR No.010839
Book TitleSanskrit Sahitya ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Agrawal, Lakshman Swarup
PublisherRajhans Prakashan
Publication Year1950
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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