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________________ अध्याय १० संगीत-काव्य (Lyacs) और सूक्ति-सन्दर्भ (५५) संगीत-काव्य (खंड काव्य) का आविर्भाव संगीत-कान्य' का इतिवृत्त प्रायः कालिदास के मेघदूत और ऋतुसंहार से प्रारम्भ किया जाता है; परन्तु इस अवस्था में उस सारे श्रेएम. संस्कृत के संगीत-कान्य के आधार की उपेक्षा हो जाती है जिसकी धार ऋग्वेद के काल तक चली गई है। ____ भारतीय संगीत काव्य पाँच प्रकार का है और उसे पाच ही युगों में विभक्त किया जाता है। (१) ऋग्वेदीय काल का निःश्वसित संगीत काव्य-यह अंशतः धार्मिक भावना प्रधान और अंशत: लौकिक काममा प्रधान है । कभी-कभी वीररस के विषय को धार्मिक तत्व से मिश्रित कर दिया गया है। उदाहरण के लिए परम रमणीय उषा-सूक्त, विपाशा और शुतुदी नदियों की स्तुति ले पूर्ण वीररसमय संगीत (खंड) कान्य (Lyrics) या सुदास की विजय का वीररसमय अनुवाक देखा जा १ संगीत (खंड) काव्य का प्रधान लक्षण यह है कि इसमें अर्थसम्बन्ध से परस्पर सम्बद्ध अनेक पद्यों की बहुत लम्बी माला नहीं होती अपितु इसमें किसी प्रेम-घटना का या किसी रस का वर्णन करने गला कोई छोटा सा शब्दचित्र रहता है। २ अलौकिक शक्ति प्रेरित Inspired:
SR No.010839
Book TitleSanskrit Sahitya ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Agrawal, Lakshman Swarup
PublisherRajhans Prakashan
Publication Year1950
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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