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________________ १५४ संस्कृत साहित्य का इतिहास fert राजा के मर्म को दीक्षा लेने का वर्णन है । कवि पर भारवि और माघ का प्रभाव पड़ा दिखाई देता है। इसमें हर्षकृत नागानन्द की चोर भी संकेत पाया जाता 1 (४६) कादम्बरीकथासार ( ६ वीं शताब्दी ) - इसका लेखक काश्मीर में 8 वीं शताब्दी में होने वाला कवि अभिनन्द है । यह काव्य के रूप में त्राण की कादम्बरी का सार है । (५०) क्षेमेन्द्र ( ११ वीं शताब्दी) - इसने १०३७ ई० में भारतमन्जरी ( महाभारत का सार ) और १०६६ ई० में दशावतार चरित की रचना की । इसने बुद्ध को नौवाँ अवतार माना है । इसने रामायणमंजरी ( रामायण का सार ) और पथ- कादम्बरी भी लिखी थी । यह काश्मीर का निवासी था । (५१) मंत्र का श्रीकण्ठचरित्र ( १२ वीं शताब्दी ) - इस काव्य में २५ वर्ग हैं। इसमें श्रीकण्ठ (शिव) द्वारा त्रिपुरासुर की पराजय का वर्णन है । म काश्मीर का रहने वाला था, और १२ वीं शताब्दी में हुआ था । (५२) रामचन्द्रकृत रसिकरंजन (१५४२ १० ) - इसकी रचना प्रयोध्या में १५४२ ई० में हुई । इस काव्य का सौन्दर्य इस बात में है कि इसके पद्यों को एक घोर से बढ़िये तो शृङ्गारमय काव्य प्रतीत होगा, और दूसरी ओर से पढ़िये तो साधु-जीवन की प्रशंसा मिलेगी । इसकी तुलना मैदीना निवासी विनोन के अपने गुरु मोसस बैसीला के ऊपर लिखे शोक-गीत से हो सकती है जिले चाहे इटैलियन भाषा का काव्य मानकर पदलो चाहे हिब का । A (५३) कतिपय जैन ग्रन्थ-- कुछ महत्वपूर्ण जैन ग्रन्थ भी प्राप्त हैं, किन्तु वे अधिक लोकप्रिय नहीं हैं। यहां उनका साधारण उल्लेख कर देना पर्याप्त होगा । (क) वादिराज कृत यशोधरचरित। इसकी रचना १० वीं शताब्दी में हुई थी। इसमें सब चारसर्ग और २१६ श्लोक हैं ।
SR No.010839
Book TitleSanskrit Sahitya ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Agrawal, Lakshman Swarup
PublisherRajhans Prakashan
Publication Year1950
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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