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________________ कोटल्य का अथशास्त्र मेगस्थनीज़ अत्यन्त सक्षम-पर्यवेक्षक होता तब भी उसकी और चाणक्य की बातों में शानक्य स्वाभाविक था । चायाक्य के विषय में मेगस्थनीज चुप है" यह कोई युक्ति नहीं। मेगस्थनीज ने तो कहीं मन्दों का भी नाम नहीं लिया; फिर बाणक्य का नाम लेने को क्या प्राशा हो सकती है ? (3) प्रो. विटमिट्ज Winternitz और प्रो० कोथ (Keith) ने इस प्रन्थ का निर्माण-काल ईसा की चौथी शताब्दी माना है। बिटरनिट्ज़ के मत से इसका रचयिता कोई राजनीतिज्ञ नहीं, बल्कि कोई पणिरत है। परन्तु इस मत में इस तथ्य के ऊपर ध्यान नहीं दिया गया कि भारतवर्ष में एक ही व्यक्ति परित और राजनीतिज्ञ दोनों का कार्य कर सकता है। माधव और सायण दोनों भाई बड़े योग्य अमात्य, साथ ही वेदों और भारतीय दर्शन के धुरन्धर विद्वान् भी थे। (४) कुछ विद्वानों ने बहा कल्पनापूर्ण विचार प्रकट करने का साहस किया है। उनका कथन है कि कौटिल्य ( 'कुटिल' बाबू ) कोई ऐतिहासिक पुरुष नहीं था। परन्तु हम ऊपर कह चुके हैं कि उसका असली नाम विष्णुगुप्त था, कौटिल्य उसका उपनाम है जो उसके कुटिल नीति का पक्षपाती होने के कारण प्रसिद्ध हो गया है। (५) चन्द्रगुप्त मौर्य के साथ चाणक्य का मारो सम्बन्ध यह सिद्ध करता है कि वह ई० पू० चौथी शताब्दी में हुआ था; और 'नरेन्द्राधे' 'मौर्या) इत्यादि वाक्यों से यह भी विश्वास करना पड़ता है कि यह ग्रन्थ चन्द्रगुप्त मौर्य के जीवन-काल में ही शिला गया था। (१) युता, राजुका, पापण्डेषु, समाज, महामाता इत्यादि पारिभाषिक शब्द कौटलीय अर्थशास्त्र के समान अशोक के शासनलेखों में भी पाए जाते हैं। कुछ शब्द ऐसे भी हैं जो किसी विशिष्ट अर्थ में प्रयोग में लाए गए हैं और बाद में प्रयुक्त हो गए है। २ कैलकटा रिव्यू (अप्रैल.) १६२४ ई । ३ बर्नल आ रायक एशियाटिक सोसायटी १९१६ ई (१३०)
SR No.010839
Book TitleSanskrit Sahitya ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Agrawal, Lakshman Swarup
PublisherRajhans Prakashan
Publication Year1950
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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