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________________ पद्मबन्ध का लक्षण जब अष्टदल कमल बनाकर उसकी कर्णिका में ऐसे वर्ण का विन्यास किया जाय, जिसका सम्बन्ध अन्य समस्त उत्तर वर्षों के साथ हो । तत्पश्चात् दो-दो वर्ष कमल पत्रों में लिखने से पद्मबन्ध की रचना होती है । काकपद चित्र का लक्षण. - काव्यावर्त्तन गोमूत्रिका चित्र का लक्षण - जिस रचना में ऊपर और नीचे के क्रम में अक्षर एकान्तरित करके पढे जाये, विद्वानों ने निश्चय ही उस रचना विशेष को गोमूत्रिका चित्र कहा है।' 3 सर्वतोभद्र चित्र का लक्षण - एक दो या सभी दिशाओं में स्थित उत्तर वाले अनेक अक्षरों से जो रचना विशेष की जाय, उसे विद्वानों ने सर्वतोभद्र चित्र कहा है । 4 गतप्रत्यागत चित्र का लक्षप जिस रचना विशेष में कौवे के पैर के समान ऊपर और नीचे अक्षरों उलट पुलट कर हो, उसे विद्वानों ने काकपद कहा है 2 उलटा और पढ़ने से अनेक प्रकार से सम्पन्न रचना वर्धमानाक्षर चित्र का लक्षण 1 2 3 4 5 6 - जिस रचना विशेष में आदि, मध्य अथवा अन्त में एक, दो या तीन अक्षरों की वृद्धि हो जाये उसे वर्धमानाक्षर कहते हैं । 6 बही वही अ०चि० बही वही 2/83 यही 2/87 - - - - - - 2/78 2/82 से तथा उसके बीच के अक्षर के लोप वले उत्तर विशेष को गतप्रत्यागत चित्र कहते हैं । 5 2/92 2/98 -
SR No.010838
Book TitleAlankar Chintamani ka Aalochanatmaka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArchana Pandey
PublisherIlahabad University
Publication Year1918
Total Pages276
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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