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________________ की एकता, कृष्ण तथा हरित वर्णों, नाग तथा सर्प, पीत तथा लोहित, स्वर्ण पराग तथा अग्नि शिखा आदि मे, चन्द्रमा मे खरगोश तथा एडमृग की कामदेव के ध्वज वर्णन मे मकर तथा मत्स्य की, दानव, सुर तथा दैत्य के एकत्व का प्रतिपादन यथा नीलानि - सिकताऽमृतलोध्राणि गुणकरैवशर्करा । नीलानिकृष्णचन्द्रकव्यासरामधनञ्जया ।। शनिद्रुपदजा काली राजपट्ट विदूरजम् । विषाकाश कुहूशास्त्राऽगु रुपापतमोनिशा ।। रसावद्भुतश्रृगारी मदतापिच्छराहव । सीरिचीर यमोरक्ष कण्ठ खञ्जनकेकिनो ।। यथा शोणानि - कृत्या छाया गजागारखलान्त करणादय । शोणानि क्षात्रधर्मश्च त्रेता रौद्ररसस्तथा ।। चकोरकोकिलापारा वतनेत्र कपेर्मुखम् । तेज सारसमस्त च भौमकुकुमतक्षका ।। यथापीतानि - जिवेन्द्रगोपखद्योतविद्युत्कुञ्जरबिन्दव । पीतानि दीपजीवेन्द्रगरुडेश्वरदृग्जटा ।। ब्रह्मा वीररसस्वर्णकपिद्वापररोचना । किञ्जल्कचक्रवाकाद्या हरिताल मन शिला ।। यथा धूसरपि - धूसराणि रजो लूता करभो गृह गोधिका । कपोतभूषिको दुर्गा काककण्ठखरादय ।। यथा हरिताः - हरिता सूर्यतुरगाबुधो मरकातादय । इत्यापि बोद्धव्यम् । द्वरूप्ये चाऽप्रसिद्धौ च नियमोऽयमुदाहृत । अन्यद्वस्तु यथा यत्स्यात् तत्तधैवोपवर्ण्यते ।। अलकारशेखर-षष्ठ रत्न-द्वितीय मरीचिका, पृ0 66-67 एक ऐन्द्र करी चाश्वो -... । अ000-6/3 पृष्ठ - 67
SR No.010838
Book TitleAlankar Chintamani ka Aalochanatmaka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArchana Pandey
PublisherIlahabad University
Publication Year1918
Total Pages276
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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