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________________ यद्यपि अन्य ऋतुओं मे भी मयूर बोलते और नृत्य करते है, तो भी वर्षा ऋतु मे ही उनके बोलने और नृत्य करने का उल्लेख करना, अन्य ऋतुओं मे नहीं नियमेन उल्लेख की दूसरी विलक्षणता कही जायेगी । ' ऐरावत हाथी को श्वेत वर्णित करना, भुवन तीन, सात या चौदह मानना, दिशाएँ चार, आठ या दस मानना, सद्वस्तु का नियमेन उल्लेख रूप कवि समय है 12 आचार्य राजशेखर द्वारा निरूपित वर्ण्य विषयों और अजितसेन द्वारा निरूपित वर्ण्य विषयों में पर्याप्त साम्य होते हुए भी अजितसेन कृत वर्ण्य विषयों मे राजशेखर की अपेक्षा आधिक्य है । - आचार्य केशव मिश्र ने गुणवर्णन रूप कवि समय का सर्वाधिक उल्लेख किया है । 3 इसके अतिरिक्त इन्होंने एक से लेकर सहस्र तक की सख्या वाली वस्तुओं का भी उल्लेख किया है । जिसकी चर्चा राजशेखर अजितसेन आदि ने नहीं की है । 4 साहित्य दर्पण के लक्ष्मी टीकाकार विषयों के निबन्धन को वैकल्पिक बताया है । 1 2 3 श्री रव नाट्य मयूराणा वर्षास्वेव विवर्णयत् । नियमस्य विशेषोऽन्य कश्चिदत्र प्रकाश्यते ।। शुभ्रमिन्द्रद्विप ब्रूयात्त्रीणि सप्त चतुर्दश । भुवनानि चतस्रोऽष्टौ दश वा ककुभो मता 1 श्वेतानियथा श्वेतानिचन्द्रशक्राश्वशम्भुनारदभार्गवा । हलीशेषाहि शक्रेमो सिहसौधशरद्धना ।। सूर्येन्दुकान्तनियर्मोकमन्दारगुहिमाद्रय हि महासमृणालानि स्वर्गर्गेभर दाभ्रकम ।। । जैसे कृष्ण मोहन शास्त्री कतिपय कमला और सम्पत् की - अ०च० - 1/79 अ०चि0 - 1/80 क्रमश
SR No.010838
Book TitleAlankar Chintamani ka Aalochanatmaka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArchana Pandey
PublisherIlahabad University
Publication Year1918
Total Pages276
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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