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________________ असत क्रियागत निवन्धन- जैसे रात्रि मे चकवा - चकवी का जलाशय के भिन्न तटों पर पृथक रहना और चकोरों का चन्द्रिकापान करना । असत् गुणों का निबन्धन . यथा यश और हास्य की शुक्लता का प्रतिपादन, अयश, पापादि का कृष्णरूप वर्णन, क्रोध, अनुरागादि की रक्तता का वर्णन करना आदि के वर्णन करने की चर्चा की है ।2 सत् के अनिबन्धन 1. जातिगत अर्थ में सत् का अनिबन्धनः जैसे वसन्त मे मालती के होने पर भी उसका वर्णन न करना, चन्दन के वृक्षों मे पुष्प व फल का वर्णन न करना, अशोक के फलों का वर्णन न करना मकरादि का समुद्र के ही जल मे वर्णन करना, ताम्रपर्णी नदी मे ही मोतियों का वर्णन करना आदि । द्रव्यरत अर्थ में सत का अनिबन्धनः कृष्णपक्ष मे चाँदनी के होने पर भी उसका वर्णन न करना और उसी प्रकार से शुक्ल पक्ष मे अन्धकार के रहने पर भी उसका वर्णन न करना । 3. क्रियागत अर्थ में सत् का निबन्ध एवं क्रियागत अर्थ में सत् का अनिबन्धन जैसे दिन मे नील-कमलों का विकास न होना, रात्रि मे शेफालिका के कुसुमों का न गिरना कवि समयानुमोदित है । काव्यमीमासा - पृष्ठ - 205 वही - पृष्ठ 209 वही - पृष्ठ - 200 वही - पृष्ठ - 201 वही - पृष्ठ - 206 वही - अ0 14, पृष्ठ - 206
SR No.010838
Book TitleAlankar Chintamani ka Aalochanatmaka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArchana Pandey
PublisherIlahabad University
Publication Year1918
Total Pages276
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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