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________________ के अभाव का चित्रप अपेक्षित बताया गया है ।' केशव मिश्र ने भी अजितसेन द्वारा प्रतिपादित विषयों में से कुछ विषयों को स्वीकार किया है व कुछ नवीन विषयों का उल्लेख भी किया है । इन्होंने विरह मे चिन्ता, मौनता, कृशागता, रात्रि की दीर्घता, जागरण तथा शिशिर ऋत की उष्णता आदि वर्णन करने का निर्देश दिया है ।2 सुरत के वर्णनीय विषय - अजितसेन के अनुसार शीतकाल, कण्ठालिगन, नख-क्षत, दन्त-क्षत, करधनी, ककण, मञ्जीर की ध्वनि और स्त्री पुरुष की विपरीत रति का वर्णन करने का निर्देश दिया है 13 केशव मिश्र के विचार अजितसेन से अभिन्न स्वयंवर के वर्ण्य विषय. अजितसेन के अनुसार स्वयवर वर्णन के अवसर पर सुन्दर नगाडा, मञ्च-मण्डप, कन्या तथा स्वयवर मे पधारे हुए राजाओं के वश, प्रसिद्धि, यश, विरहे तापनि श्वासमनश्चिन्ताकृशागता । शिशिरीष्ण्यनिशादर्थ्य जागराहासहानय ।। अचि0 - 1/61 विरहे तापनिश्वासचिन्तामोनकृशागता । अब्दसख्या निशादर्थ्य जागर शिशिरोष्णता । अ00 - 6/2 सुरते सीत्कृतिग्रीवानरवदन्तक्षतादय । काञ्चीककपमञ्जीरश्वमायितादय ।। अ०चि0 - 1/62 सुरते सात्विका भावा सीत्कारा कुड्मलाक्षता । काञ्चीककपमञ्जीरवोरदनखक्षते ।। अ00 -12
SR No.010838
Book TitleAlankar Chintamani ka Aalochanatmaka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArchana Pandey
PublisherIlahabad University
Publication Year1918
Total Pages276
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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