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________________ जन्म कल्याण के वर्णनीय विषय - जन्म कल्याण का वर्णन करते समय गर्भावतरण आदि का वर्णन और जन्माभिषेक के समय एरावत हाथी, सुमेर, पर्वत, समुद्र देवों की जय ध्वनि तथा विद्याधरों का जन्मोत्सव में सम्मिलित होना आदि विषयों का वर्णन करना चाहिए।' इसका निरूपण पूर्ववर्ती आचार्यो ने नहीं किया । परवर्ती आचार्यो मे भी जयदेव दीक्षित विश्वनाथ विद्यानाथ जगन्नाथादि ने इस विषय पर कहीं भी किसी प्रकार की चर्चा नहीं की। विवाह के वर्षनीय विषय - अजित सेन के अनुसार विवाह का वर्णन करते समय स्नान शरीर की स्वच्छता, अलकार, सुमधुर गीत, विवाह मण्डप, वेदी, नाटक नृत्य एव वाद्यों की विविध ध्वनियों का निरूपण करना आवश्यक बताया गया है ।2 केशव मिश्र ने भी प्राय इन्हीं विषयों का वर्णन करने का निर्देश दिया है । विरह के वर्णनीय विषय. विरह के वर्णन करते समय उष्ण नि श्वास, मानसिक चिन्ता शरीर की दुर्बलता, शिशिर ऋतु मे गर्मी की अधिकता रात्रि जागरण खुशी व प्रसन्नता जनमे नामकल्याणगर्भावतरणादिकम् । तत्रेन्द्रदन्तिमर्वब्धिश्रेणीसुररवादय ।। अ०चि0 - 1/59 विवाहे स्नानशुभ्रागभूषाशोभनगीतय । विवाह मण्डपो वेदी नाट्यवाद्यखादय ।। अचि0 - 1/60 विवाहे स्नानशुद्धागभूषा तूर्यत्रयीरवा । वेदीसगीतहोमादिलाजमगलवर्णनम् ।। अ00 - 6/2
SR No.010838
Book TitleAlankar Chintamani ka Aalochanatmaka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArchana Pandey
PublisherIlahabad University
Publication Year1918
Total Pages276
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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