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________________ सूर्य के वर्णनीय विषय - सूर्य के वर्ण्य विषय के प्रसग मे आचार्य अजितसेन ने उसकी अरूणिमा, कमल का विकास, चक्रवाको की आँखों की प्रसन्नता, अन्धकार का नाश कुमुदिनी का सकोचन, तारा - चन्द्रमा - दीपक की प्रभावहीनता एव कुटलाओं की पीडा आदि के चित्रण का उल्लेख किया है ।' परवर्ती आचार्य केशव मिश्र के अनुसार सूर्य मे अरुणता चक्रवाक पक्षियों की प्रीति, कमल, पथिकों की प्रसन्नता आदि का वर्णन आवश्यक बताया है 12 चन्द्रमा के वर्ण्य विषय - अजित सेन के अनुसार चन्द्रमा के वर्णन मे मेष, कुलटा चकवा चकवी चोर अधकार व वियोगिनियों की मर्मव्यथा तथा उज्ज्वलता, समुद्र कैरव और चन्द्रकान्तमणि की प्रसन्नता का वर्णन अपेक्षित है । जबकि केशव मिश्र ने कुलटा, चक्रवाक पक्षी, कमल चोर तथा विरह के वर्णन मे चन्द्रमा को कष्टवर्धक बताया है तथा चकोर, चन्द्रकान्तमणि तथा दम्पत्ति के लिये इसे प्रीति वर्धक बताया है । केशव मिश्र कृत विवेचन अजितसेन कृत विवेचन की अपेक्ष किञ्चिद् अधिक धुमपावरूपत्वाब्जचक्रवाकाक्षिहृष्टय । तम कुमुदतारेन्दुप्रदीपकुलटार्तय ।। अचि० 1/55 सूर्येऽरुणतरविमणिचक्राम्बुजपथिकलोचनप्रीति । तारेन्दुदीपकौषधि धूकतमश्चोरकुमुदकुलटार्ति ।। अ00 - 6/2 चन्द्रेऽभ्रकुलटाचक्रचोरध्वान्तवियोगिनाम् । आर्तिरूज्ज्वलता - वार्धिकैरवेन्दुश्महृष्टय ।। अचि0 - 1/56 चन्द्रे कुलटाचक्राम्बुजचौरविरहितमोऽर्तिरोज्ज्वल्यम् । जलधिजननेत्रकैरवचकोरचन्द्राश्मदम्पत्तिप्रीति ।। अ00 - 6/2 पृ0 - 63
SR No.010838
Book TitleAlankar Chintamani ka Aalochanatmaka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArchana Pandey
PublisherIlahabad University
Publication Year1918
Total Pages276
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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