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________________ हेमन्त ऋतुः ___ आचार्य अजितसेन ने हेमन्त ऋतु मे हिमयुक्त लताओं, मुनियों की तपस्या एव कान्ति अदि के वर्णन का उल्लेख किया है ।' पूर्ववर्ती आचार्य भरतमुनि के अनुसार सिर, दाँत, ओष्ठ का कम्पन, गात्र सकोचन, सीत्कार आदि का वर्णन करना चाहिए ।2 अजितसेन कृत वर्णन मे भरतमुनि की अपेक्षा नवीनता दृष्टिगोचर होती है । आचार्य केशव मिश्र के अनुसार हेमन्त ऋतु मे दिन की लघुता, शीताधिक्य, यव की वृद्धि आदि का वर्णन करना प्रशस्य बताया गया है । शिशिर ऋतु के वर्णनीय विषय - भरत के अनुसार शिशिर ऋतु मे पुष्पों मे पराग और सुगन्ध का वर्णन अपेक्षित बताया गया है । इसी सन्दर्भ मे इन्होंने वायु की रूक्षता का प्रतिपादन करने का सकेत किया है । आचार्य अजितसेन ने भरत की अपेक्षा एक नये विषय के वर्णन की चर्चा की है जिसमे शिरीष व कमल के पुष्प का विनाश बताया गया है । परवी आचार्य केशव मिश्र ने शिशिर ऋतु के वर्ण्य विषय के सन्दर्भ मे कुन्दसमृद्धि तथा गुड की सुगन्धि की चर्चा की है जिसका उल्लेख भरतमुनि तथा अजितसेन ने भी नहीं किया है । हेमन्ते हिमसलग्नलतामुनितप प्रभा । अचि0 - 1/54 का पूर्वाद्ध गात्र सकोचनेनापि सूर्याग्निपटवेशनात् । हेमन्तस्त्वभिनेय स्यात् पुरुषैर्मध्यमोत्तम ।। शिरोदन्तोष्ठकम्पेन गात्रसकोचनेन च । कूजितैश्च स्सीत्कारेरेधम शीतमादिशेत् ।। नाOशा0 26/28, 29 हेमन्ते दिनलघुता मरुवकयववृद्धि शीतसम्पत्ति । अ000 - 6/2 मधुदानात्तुपुष्पाणा गन्धध्राणेस्तथैव च । रूक्षाश्च वायो स्पर्शाश्च शिशिर रूपयेद् बुध ।। ना०शा0 - 26/31 शिशिरे च शिरीषाब्जदाहशैत्यप्रकृष्टय । अ०चि0 - 1/54 अ00-6/2, पृ0-64 शिशिरे कुन्दसमृद्धि कमलहतिर्वा गुडामोदा ।
SR No.010838
Book TitleAlankar Chintamani ka Aalochanatmaka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArchana Pandey
PublisherIlahabad University
Publication Year1918
Total Pages276
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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