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________________ ग्रीष्म ऋतु भरतमुनि के अनुसार स्वेद, अपमार्जन, भू-ताप, व्यजन, वायु की उष्णता आदि को ग्रीष्म ऋतु के वर्णनीय विषय बताए गए है । भरतमुनि के पश्चात् अजित सेन ने इस विषय पर विचार किया । उन्होंने ग्रीष्म ऋतु मे उष्मा, सरोवर, शुष्कता, पथिक, मृग-तृष्णा, मृग मरीचिका, प्रपा (प्याउ) कूप व सरोवर से जल भरने वाली नारियों का वर्णन तथा मल्लिका पुष्प के वर्णन करने की चर्चा की। 2 भरत मुनि की अपेक्षा अजितसेन ने ग्रीष्म ऋतु के वर्णनीय विषयों को अधिक सख्या मे परिगणित किया है । परवर्ती काल मे अजितसेन के आधार पर ही केशव मिश्र ने इन विषयों का निरूपण किया है । जिस पर अजितसेन का पर्याप्त प्रभाव परिलक्षित होता है । 3 वर्षा ऋतु - भरतमुनि ने वर्षा ऋतु के वर्ण्य विषय के सन्दर्भ मे कदम्ब, निम्ब, कुटज आदि की हरीतिमा का इन्द्रगोप, नामक कीट विशेष तथा मयूरों के समूह के वर्णन की चर्चा की है । इसके अतिरिक्त मेघ समूह, मेघों का गम्भीर नाद, धारा प्रपात, विद्युत निर्धात धोव, इष्ट व अनिष्ट के की चर्चा की है । 4 भरतमुनि के पश्चात् अजित सेन ने दर्शन आदि के वर्णन भी वर्षा ऋतु के वर्ण्य 1 2 3 4 - स्वेदापमार्जनाञ्चापि भूमितापै सुवीजनै । उष्णाच्य वायो स्पर्शाच्च ग्रीष्म त्वभिनयेद् बुध ।। निदाघे मल्लिकातापसर पथिकशोषिता । मरीचिका मृगभ्रान्ति प्रपा तत्रत्ययोषित । ग्रीष्मे पाटलमल्लीतापसर पथिक शोषबातोल्का । सक्तुप्रपाप्रयास्त्री मृगतृष्णामादिफलपाका ।। कदम्बनिम्बकुटजै शाद्वलै सेन्द्रगोपकै । कदम्बकैर्मयूराणा प्रावृष संनिरूपयेत् ।। मेघौघनादगम्भीरधाराप्रपतनैरपि । विद्युनिन्नर्घातघोषैश्च वर्षरात्र विनिर्दिशेत् ।। यद्यञ्च चिह्न वेषो वा कर्म वा रूपमेव वा । ऋतु स तेन निर्देश्य इष्टानिष्टार्थदर्शनात् ।। ना०शाo अचि० ना०शा० 26/33 1/51 अ० शे० 6/2 - 26/34-37
SR No.010838
Book TitleAlankar Chintamani ka Aalochanatmaka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArchana Pandey
PublisherIlahabad University
Publication Year1918
Total Pages276
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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