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________________ आचार्य केशव मिश्र के अनुसार गज के कर्ण चापल तथा सहस्र योद्धाओं से युद्ध के प्रतिपादन करने की चर्चा इन्होंने अजितसेन से अधिक की है । शेष वर्णन मे समानता है । बसन्त ऋतु बसन्त ऋतु मे दोला मलयानिल, भ्रमर वैभव की झकार, कुड्मल की उत्पत्ति, आम, मधूक आदि वृक्ष, पुष्प, मञ्जरी एव लता आदि का वर्णन करना चाहिए 12 2 - 3 वसन्त ऋतु के वर्ण्य विषयों की चर्चा नाट्यशास्त्र, काव्यमीमासा एव अलकारशेखर मे भी की गयी है । 3 अजितसेन कृत वर्णन एव भरतमुनि कृत वर्णन में पर्याप्त साम्य है । राजशेखर एव विश्वनाथ ने क्रमश मालती तथा 'जाती' पुष्प के अभाव का ही वर्णन किया है । 4 4 ऋतुओं के वर्णनीय विषय गजे सहस्रयोधित्वमुच्चता कर्णचापलम् । अरिव्यूहविभेदित्व कुम्भमुक्तामदालय ।। म दोलानिलालि सहकारविटप्यादि - - झकार-कलिकोद्गमा । सुमनोमञ्जरीलता ।। - (क) प्रमोदजननारम्भैरूप - भोगैस्तथोत्सवे । वसन्तस्त्वभिनेतव्यो नानापुष्पप्रदर्शनात् ।। ना०शा० (ख) तद्यथा न मालती वसन्ते । (ग) सुरभी दोलाकोकिलदक्षिणवातद्रुपल्लवोद्भेदा । जातीतरपुष्पचयाऽऽप्रमञ्जरीभ्रमर झकारा ।। न स्यात्जाती वसन्ते । अ० शे० - 6/2 अ०चि० 26/32 go काव्यमीमासा - - 1/50 - 301 अ०शे० - 6 /2, पृ० सा०द० पृ० - 200 - 64 7/25 पूर्वाद्ध
SR No.010838
Book TitleAlankar Chintamani ka Aalochanatmaka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArchana Pandey
PublisherIlahabad University
Publication Year1918
Total Pages276
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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