SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 24
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अर्हदास के मुनिसुव्रत काव्य का समय लगभग 1240 ई0 है । और इस काव्य ग्रन्थ की रचना महाकवि प० आशाधर के सागारधर्मामृत के पश्चात् हुई है । आशाधर ने सागारधर्मामृत को ई० सन् 1228 मे पूर्ण किया है । अलकारचिन्तामणि मे आदि पुराण के उद्धरण आये है और आदि पुराण के रचयिता जिनसेन के समय की उत्तरावधि आठ सौ पचास ईसवी के लगभग है । धर्मशर्माभ्युदय की रचना नेमिनिर्वाण काव्य से पूर्व हो चुकी है । और नेमिनिर्वाण काव्य वाग्भटालकार का पूर्ववर्ती है। वाग्भटालकार के रचयिता वाग्भट गुजरात के सोलकी नरेश जयसिह, सिद्धराज ई० सन् 1094 -1142 ई०) के समय हुए है । मुनिसुव्रत काव्य के रचयिता अर्हदास प० आशाधर के समकालीन है । ये आशाधरजी की सूक्तियों और सद्ग्रन्थों के भक्त अध्येता थे और उन्हे, गुरुवत् समझते थे । प० आशाधर जी का निश्चित समय 1210-43 ई० है । अत अर्हदास का समय भी ई० सन् 1240-50 ई0 के आस-पास निश्चित है । आशाधर जी ने सागारधर्मामृत की रचना 1228 ई० मे पूर्ण की है । अत मुनिसुव्रत काव्य के रचयिता अर्हदास के काव्यक्रन्थों के उद्धरण अलकारचिन्तामणि मे विद्यमान रहने से अलकारचिन्तामणि का रचनाकाल ईसवी सन् 1250-60 के मध्य है और इस ग्रन्थ के रचयिता 'अजितसेन' पाण्ड्यबग की बहन रानी विट्ठलदेवी के पुत्र कामिराय प्रथम बगनरेन्द्र के गुरू है । इस प्रकार इतिहास के वाह्य साक्ष्यों तथा अलकार चिन्तामणि मे विद्यमान वामन, आनन्दवर्धन, वाग्भट आदि के अन्त साक्ष्य के रूप मे प्रस्तुत किए गये उद्धरणों से आचार्य अजितसेन का समय 13 वीं शताब्दी सिद्ध होता है ।
SR No.010838
Book TitleAlankar Chintamani ka Aalochanatmaka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArchana Pandey
PublisherIlahabad University
Publication Year1918
Total Pages276
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy