SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 139
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अनुमान एवं काव्य लिग मे भिन्नता - अनुमान अलकार मे पक्ष धर्मता और व्याप्ति की स्थिति रहती है जबकि काव्यलिग मे नहीं । काव्यलिग मे कार्य कारण भाव व्यग्य होता है, वाच्य नहीं । अनुमान मे साध्य -साधन भाव वाच्य होता है । अनुमान मे 'कारक' हेतु रहता है जबकि काव्यलिग मे 'ज्ञापक' हेतु ।' सामान्य और मीलन अलंकार मे भिन्नता - दोनों ही अलकारों मे दो ऐसी वस्तुओं का वर्णन किया जाता है जिनकी भिन्नता का ज्ञान समानधर्मता के कारण नहीं हो पाता । मीलि मीलित मे सबल पदार्थ निर्बल को छिपा लेता है जबकि सामान्य मे दोनों इस प्रकार घुल-मिल जाते है कि उनकी पृथक् प्रतीति नहीं हो पाती । मीलित मे दोनों पदार्थों का प्रत्यक्ष ज्ञान नहीं हो पाता क्योंकि एक-दूसरे को आच्छादित कर लेता है । सामान्य मे दोनों पदार्था प्रत्यक्ष होते है पर उनके भेद का ज्ञान नहीं होता है । उदात्त और परिसंख्या मे भेद - परिसख्या अलकार मे अन्य योग की व्यवच्छेदकता रहती जबकि उदात्त अलकार मे नहीं । परिसख्या में एक वस्तु के अनेकत्र स्थिति सभव रहने पर भी अन्यत्र निषेध कर एक स्थान मे नियमन कर दिया जाता है उदात्त मे अन्य का निषेध नहीं किया जाता अपितु लोकोत्तर वभेव अथवा महान चरित्र की समृद्धि का वर्णन वर्ण्य - वस्तु के अग रूप मे किया जाता है । समाधि एवं समुच्चय मे अन्तर - जहाँ काकतालीयन्याय से कारणान्तर के आगमन से कार्य की सिद्धि, सिद्धि हो जाए वहाँ समाधि अलकार होता है और जहाँ अनेक कारणों के मिलने । पक्षधर्मत्वव्याप्त्याद्यसभवादनुमानतो भिन्नं काव्यलिगम् । अचि0, पृ0 - ।।6 साधारणगुणयोगित्वेन भेदादर्शने सति सामान्यम्, उत्कृष्ट गुण योजनहीनगुणतिरोहितत्वे मीलनम् । वही - पृ० - ।।6 अन्ययोगव्यवच्छेदेनाभिप्रायाभावादुदात्तस्य परिसख्यातोऽन्यत्वम् । वही - पृ0 - ||6
SR No.010838
Book TitleAlankar Chintamani ka Aalochanatmaka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArchana Pandey
PublisherIlahabad University
Publication Year1918
Total Pages276
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy