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________________ भावना गीत [ ४५ ww www M WWW AMA ( ३० ) छोटा सा यह जीवन मेरा, हो न किसी के सिर पर भार । रह परिश्रमशील सर्वदा, श्रम को कहू न सह न सकू दुर्बल दीनों पर, वलवानो के तत्पर रहू न्यायरक्षण मे, हरता रहू सहा ( ३१ ) पापाचार | अत्याचार | | भूभार ॥ कापरता न फटकने पावे, बनू मोत से निर्भय बीर । प्राण हथेली पर लेकर मैं, बहू रहू विपदा मे धीर ॥ विरत विरोध उपेक्षा मिलकर, कर न सके साहसका नाश । कर न सके असफलताएँ भी, कार्यक्षेत्र मे मुझे निराश । ( ३२ ) पुरुषार्थ । परमार्थ ॥ धर्म अर्थ हो काम मोक्ष हो, रक्खू मै चारों एकागी जीवन न वनाऊ, सकल - समन्वय है सभी रसो का समय समय पर करता रहू उचित उपयोग | करुणा वीर हास्य वत्सलता, सब का निर्विरोध हो भोग || ( ३३ ) दुनिया की नाटकाला में, खेल सभी तरह के खेल । लेकिन पाप न आने पात्रे, हो न सुधा मे विनका मेल || कर्मों मे कोशल हो मेरे हो सत्र चिंताओ का अन्त । मुखमुद्रा कैसी भी हो पर, रहे हृदय मे हास्य अनन्त ॥ ( ३४ ) रहू अहिंसा की गोदी में, सत्य करे लालन न्याय नीतियों के कर तल पर, हो सदैव पालन मेरा । नेरा ॥
SR No.010833
Book TitleSatya Sangit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarbarilal Satyabhakta
PublisherSatyashram Vardha
Publication Year1938
Total Pages140
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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