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________________ ८२ ] आत्म कथा लगाना आज कठिन है इसलिये यही अच्छा है कि उनमें से जो सार्थक मालूम हों वे रक्खे जाँय और बाकी हटा दिये जायें । विवाह-पद्धति ऐसी सुसंस्कृत और भावपूर्ण बनायी जाय जिसका असर जीवनव्यापी हो । सत्यसमाज का विवाह-पद्धति इसी दृष्टि से बनाई गई है। . उस समय मेरी ज्ञाति में विवाह शादियों में दोनों पक्षों में लड़ाई झगड़ा प्रायः हो जाया करता था । लेन-देन के विषय में तनातनी होने लगती थी। पर मेरा रुख ऐसा था कि उसे देखकर बारातियों को शान्त रहना पड़ता था । पिताजी का रुख भी उदार था। कदाचित् उन्हें भय था कि कोई यह न कहले कि कंगाल ही तो ठहरा पैसे के लिये लड़ेगा नहीं तो क्या करेगा ? कुछ भी हो विवाह बड़ी शान से हो गया अर्थात् बड़े आनन्द के साथ बालविवाह की चेदी पर मेरा बलिदान कर दिया गया जिसके कटुक फल बहुत ही जल्दी दिखाई देने लगे। ....... (१२) विवाह के दुष्परिणाम विवाह के दुप्परिणामों में पहिला परिणाम हुआ आर्थिक दुरवस्था। पिताजी की पूंजी करीव हज़ार रुपये की साहुकारी थी। उसी के व्याज से उनकी गुज़र होती थी। परन्तु विवाह में आठ · नव सौ रुपया खर्च हो गया अब सिर्फ सौ डेढ़सौ रुपये की साहुकारी रह गई इसलिये. आमदनी. इकदम घट गई और. विवाह के कारण कुछ न कुछ खर्च बढ़.ही गया । शैशव में माताजी के देहान्त के वाद जो गरीबी आई. थी. उसका. अनुभव सिर्फ पिताजी को करना
SR No.010832
Book TitleAatmkatha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSatya Samaj Sansthapak
PublisherSatyashram Vardha
Publication Year1940
Total Pages305
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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