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________________ (२३७) मां सुख माने छे. जे सुख संमारमा थाय छे ते तासीने जुओ, आखो दिवस संसारी मोज शोख वेगर करे छ. ए वेपारमाथी फुरसद मले छे अने ज्यारे कइ पण काम न होय, सारे सूत्रानो वखत मले छे. ने ज्यारे सूर छे त्यारे प्रसन्न थइ हाश करे छे एटले मने निवृत्ति . मली पण छोकरा विगेरे कंइ गरवड करे तो सूनार कहेशे जे, हुं निरांते सू. तो कुं माटे हमणां मने पीडा क्या आवो छो १ ए छोकरा जाय ए. वामा कंइ उपाधिना काम याद आवे, तो उंघ आवे नहि. कंइ पण वात याद आवे नहि तो उंच आवे. हवे वाचनार विचार करो जे जेटली वार कामनी निवृत्ति मली, ए. टलो बखत सुखनो मल्यो. कामना वखतना अज्ञानपणे सुख मानतो हतो ते सुख खोटुं मानेलं हतुं. कारण जे ते वखने सुख होत तो नि. रांते सूतो त्यारे सुन्न मानत नहि. ने हाश करत नहि ने आनंदित थात नहि, पण जीव कामथी निरांते बेसे छे त्यारेज आ 'हाश' शब्द बोले छे. माटे आ संसारमा पण संसारना कामोथी अने विकल्पोथी रहित थाय छे, त्यारे जे सुख थाय छे. तो मुक्तिमां तो कंइ काम करवान नथी. अने कंइ विकल्प चिंतवानो नथी. तेथी वधो वखत सुखमांज जशे. माटे एना बरोबर सुख आ दुनियामा नथी. बीजी रीते आ दु. नियामां अज्ञानपणे पदार्थ देखीने तथा जाणीने सुख थाय छे, सारां म. कान जोइ, मारां आभूषण जे इ, सारा बाग जोइ माणस खुशी थाय छे. पण तेनी साये कोइ आंबलो होय तेना जोवामा ए पदार्थ आवता नथी तेथी ते आघलो खुशी थनो नधी. पण ते हकीकत आंधलाने देखतो संभलावे, त्यारे तेना जाणवामां आवे छे तेथी ते खुशी थाय छे. सवानी तलाइ सूंघाली होय तेने ते आंधलो हाथ फेरवी जुए, त्यारे ते सुंवाली लागे छे, तेथी ते आंधलो खुशी थाय छे. हवे विचार करो के जेटला पार्थ देखवामां आवे छे वा, जाणनामां आवे छे तेनुं जे सुख थाय छे, पण जे चीज़ जाणी नथी, दीठी नथी, तेनुं सुख थवानुं नथी- पण हि
SR No.010830
Book TitlePrashnottar Ratna Chintamani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupchand
PublisherJain Prasarak Gyanmandal
Publication Year1906
Total Pages300
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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