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________________ (२०२) नये स्वभावनो कर्ता जाणी विभावर्नु कापणुं छोडवू. . . : प्रश्नः-१४१ आत्मा निर्विकल्प तथा अकर्ता छतां कर्त्तापणे व्रत, प...चख्खाण, प्रतिक्रमण करे, शास्त्र वांचे ने तेथी अको निर्विकल्पता था य ए केम घटे ? ' उत्तरः-कर्म छे ते पर वस्तु छे जेम कोइ माणसने कांटो वाग्यो छे, ते कांटो पर वस्तु छे. वली नरेणीवडे कांटो काढे छे ते नरेणी पर वस्तु छे, तो पर वस्तुए पर वस्तु निकले छे तेम आत्माने जे कर्म लाग्यां छ ते पर वस्तु पर वस्तुना योगे निकले अने हरेक वस्तु अनुक्रमे शुद्ध थाय छे. वस्त्रने मेल लाग्यो छे, ते पर वस्तु छे तेने खारादिक पर वस्तु नो योग बने छ तेथी ते वस्त्र शुद्ध थाथ छे. हीरा प्रमुख रत्न पदार्थ 'छे ते खाणमाथी काढे छे त्यारे मेलवालो होय छे तेने घसवानां शस्त्र लागे छे त्यारे मेल नीकली जड़ शुद्ध रत्न प्रगट थाय छे. तेमां पण प्रथम सर्वे मेल जतो नथी. प्रथम तो अल्प अंश जाय छे पण घसवानी 'अभ्यास करवाथी अनुक्रमे सर्वे मेल जतो रहे छे, पण मेल काढबामां . पर वस्तुनो योग जोइए छे, तेम आत्मा कर्म थकी अवरायो छे, तेथी आत्मानी निर्विकल्पदशा पण जणाती नथी. अकापणुं पण जणातुं नथी ते आवरणनो प्रभाव छे. ते आवरण खशेडवाने माटे जेम वस्त्र धो‘वाने पहेलो तो खार चढावे छे, देखातो तत्काल मेल चडेलो जणाय छ, पण वस्तुपणे ते खार मेलनो काढनार छे तेम व्यवहार करणी देखीती तो परमावनी देखाय छे, पण वस्तुपणे अंशे अंशे आत्माने शुद्ध करेछे, -.जेम जेम अंशे शुद्ध थता जाय छे, तेम तेम व्यवहारनी करणीओ छूटती . 'जाय छे. जेम के श्रावक पौषध करे छे, त्यारे पौषधमां पूजा प्रमुख क रता नथी. मुनिने पूजा, गृहस्थनी स्वामिभक्ति ए सर्वे करवा छूटी जाय 'छे. एम अनुक्रमे सर्वे करणीओ छूटी जाय अने अकर्ता गुण निर्विक• ल्प. गुण आत्मानो प्रगट थाय छे. माटे सर्वे करणी निर्विकल्पदशा ला. बचाने करवा योग्य छे. प्रथम अशुभ क्रियानो त्याग करी शुभ क्रिया
SR No.010830
Book TitlePrashnottar Ratna Chintamani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupchand
PublisherJain Prasarak Gyanmandal
Publication Year1906
Total Pages300
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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