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________________ पाढो, पागासपयाणि, केभूयं, रासिबद्धं, एगगुणं, दुगुणं, तिगुणं, केउभूयपडिग्गहो, संसारपडिगहो, नंदावत्तं, विप्पजहणावत्तं । १. पाठ, २. आकाशपद, ३. केतुभूत, ४. राशिवद्ध, ५. एकगुण, ६. द्विगुण, ७. त्रिगुण, ८. केतुभूतप्रतिग्रह, ६. संसारप्रतिग्रह, १०. नन्द्यावर्त, ११. विप्रहाणावर्त । यह है वह विप्रहाणश्रेणिका परिकर्म। सेत्तं विप्पजहणसेणियापरिकम्मे । २१. च्युताच्युतश्रेणिका परिकर्म क्या २१. से किं तं चुयाचुयसेणियापरि कम्मे ? चयाचयसेणियापरिकम्मे एक्कारसविहे पण्णत्ते, तं जहापाढो, पागासपयाणि, केउभूयं, रासिवद्धं, एगगुणं, दुगुणं, तिगुणं, केउभूयपडिग्गहो, .संसारपडिग्गहो, नंदावत्तं, चुयाच्यावत्तं । च्युताच्युतश्रेणिका परिकर्म ग्यारह • प्रकार का प्रज्ञप्त है । जैसे कि१. पाठ २. अाकाशपद ३. केतुभूत ४. राशिवद्ध ५. एकगुण ६. द्विगुण ७. त्रिगुण ८. केतुभूत-प्रतिग्रह ६. संसारप्रतिग्रह १०. नंद्यावर्त ११. च्युताच्युतावर्त । यह है वह च्युताच्युतश्रेणिका परिकर्म। सेत्तं चुयाचुयसेणिया-परिकम्मे । २२. इच्चेयाई सत्त परिकम्माई छ ससमइयाणि सत्त आजीवियाणि, छ चउक्कणइयाणि सत्त तेरासियाणि । एवामेव सपुत्वावरेणं सत्त परिकम्माई तेसीति भवंतीतिमक्खायाई । २२. ये सात परिकर्म हैं-छह स्व समय से और सातवां आजीवक मत से सम्बद्ध है। छह परिकर्म चार नय वाले हैं और सातवां तीन राशि/तीन नय वाला है। इस प्रकार कुल मिलाकर इन सात परिकर्मों के तिरासी भेद होते हैं । यह है वह परिकर्म। सेत्तं परिकम्मे । २३. से कि तं सुत्ताई? सुताई अट्ठासोतिभवंतीतिमक्यायाई तं जहा २३. वह सूत्र क्या है ? सूत्र अट्टासी होते हैं, ऐसा पाख्यात है। जैसे कि--- ममवाय-सुतं २४८ समवाय-हादशांग
SR No.010827
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1990
Total Pages322
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size10 MB
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