SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 267
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ गहो, नंदावत्तं, पुट्ठावत्तं । भूतप्रतिग्रह, ६. संसारप्रतिग्रह, १०. नन्द्यावर्त, ११. स्पृष्टावर्त । यह है वह स्पृष्टश्रेणिका परिकर्म । सेत्तं पुट्ठसेणिया परिकम्मे । १८. से कि तं प्रोगाहणसेणिया-परि कम्मे ? ओगाहणसेणिया-परिकम्मे एक्कारसविहे पण्णत्ते, तंजहापाढो, पागासपयाणि, केउभूयं, रासिबद्धं, एगगुणं, दुगुणं, तिगुणं, केउभूयपडिग्गहो, संसारपडिगहो, नंदावतं, पोगाहणावत्तं। १८. वह अवगाहनश्रेणिका परिकर्म क्या है? अवगाहनश्रेणिका-परिकर्म ग्यारह प्रकार का प्रज्ञप्त है । जैसे कि१. पाठ, २. आकाशपद, ३. केतुभूत, ४. राशिबद्ध, ५. एकगुण, ६.द्विगुण, ७. त्रिगुण, ८. केतुभूतप्रतिग्रह, १०. संसारप्रतिग्रह, ११. नन्द्यावर्त । यह है वह अवगाहनश्रेणिका परिकर्म। सेत्तं प्रोगाहणसेणियापरिकम्मे । १९.से किं तं उवसंपज्जणसेणिया परिकम्मे ? उवसंपज्जणसेरिणयापरिकम्मे एक्कारसविहे पण्णत्ते, तंजहा-- पाढो, पागासपयाणि, केउभूयं, . रासिबद्धं, एगगुणं, दुगुणं, तिगुणं, केउभूयपडिग्गहो, संसारपडिग्गहो, नंदावत्तं, उवसंपज्जणावत्तं । १९. वह उपसंपादनश्रेणिका-परिकर्म क्या है ? उपसंपादनश्रेणिका-परिकर्म ग्यारह प्रकार का प्रज्ञप्त है। जैसे कि१. पाठ, २. प्राकाणपद, ३. केतुभूत, ४. राशिवद्ध, ५. एकगुण, ६. द्विगुण, ७. त्रिगुण, ८. केतुभूतप्रतिग्रह, ६. संसारप्रतिग्रह १०. नन्द्यावर्त, ११. उपसंपादनावर्त । यह है वह उपसंपादनश्रेणिका परिकर्म। सेत्तं उवसंपज्जणसेणियापरिकम्मे । २०. से कि तं विष्पजहणसेणिया- परिकम्मे ? विप्पजहरणसेणिया-परिकम्मे एक्कारसविहे पण्णत्ते, तंजहा २०. वह विप्रहाणश्रेणिका परिकर्म क्या है ? विप्रहाणश्रेणिका परिकर्म ग्यारह प्रकार का प्रज्ञप्त है । जैसे कि समवाय-सुत्तं २४७ समवाय-द्वादशांग
SR No.010827
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1990
Total Pages322
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy