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चउर उइइमो समवाश्रो
१. निसहनीलवंतिया णं जीवाम्रो चरणउई चरणउई जोयणसहस्साई एक्कं छपण्णं जोयणसयं दोण्णि य एगूरणवी सइभागे जोयणस्स श्रायामेणं पण्णत्ताओ ।
२. श्रजियस्स णं प्ररहस्रो चरणउई श्रीहिनाणिसया होत्या ।
समवाय-सुतं
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चौरानवेवां समवाय
निषेध और नीलवान् पर्वत की प्रत्येक जीवा का आयाम चौरानवें हजार एक सौ छप्पन योजन तथा एक योजन के उन्नीस भागों में से दो भाग प्रमाण (६४१५६१ योजन) प्रज्ञप्त है ।
२. अर्हत् अजित के चौरानवे सौ अवधिज्ञानी थे ।