SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 11
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (११) वेश बनायेशिटेरामानो पेत शेत पट ओढन जिन मुनिको फरमायोरी अशाकल्पसूत्र उत्तराध्ययन में प्रगट पणे दरसायोरी।अ० । तो क्यों पीतवसन के सरिया कुगुरुनके मन भायोरी। अ०॥३॥ भिष्ट भये निर्मल चारित से तासे पीत सुहायोरी॥अ०॥४॥ नहीं वीर शाशन वरती हम यों इन प्रगट जतायोरी॥अ०॥५॥ तांभीमूढमती नहीं समझेताको कहा उपयोरी अ०॥६॥रजो हरण को दंड अमेहित मुनिपट मांहि लुका यारा॥०॥७॥ तोक्यों आकरणांत दंड अतिदीरघ करमें साह्योरी अ०८॥त्रिविध दंड आतम दंडानों ताते दंड रखायोरी ।। अ०॥॥ मुंह णतग मुख पे धारे विन
SR No.010824
Book TitleShrimadvirayanam
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages57
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy