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________________ ( ७३ ) स्त्रियों को भी उदास होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि वर्तमान क्षेत्र काल में तो पुरुषों को भी मोक्ष नहीं होता और सम्यक्त्व व चारित्र तो पुरुषों के समान तुमको भी हो सकता है, जिससे तुम स्त्रीलिंग छेदकर पुरुषों के समान ही देवगति यो विदेहादि क्षेत्रों में जन्म पासकती हो, तुम्हारी आत्मा तो स्त्री नहीं है वह तो लिङ्ग है और लिंगादि आकार तो नाम कर्म के उदय जनित शरीर के अङ्ग हैं, जो नाशवान हैं । इस लिए तुम को भी बुद्धि पूर्वक तत्त्वाभ्यास करते हुए शक्ति अनुसार त्रतादि पालना चाहिए। धर्म के समस्त अङ्ग जैसे पुरुषों को पालने की आज्ञा है, वैसी ही स्त्रियों को भी है । इस लिए उन्हें पीछे या उदास न रहना चाहिए । धर्म का सम्बन्ध किसी व्यक्ति, वर्ण, या देश से नहीं है, उसे तो जो धारण करें, वह उसी का है। इस लिए ब्राह्मण, क्षत्री, वैश्य, शूद्र आदि हिन्दू और यवन, ईशाई, हिन्दुस्थानी, जर्मन, अमेरिकन, रसियन, जापानी, चिनाई, ग्रीस, आरब, अंग्रेज, अफरीदी, टर्किस, इटालियन, अवीसीनियन आदि सभी इसे धारण कर सकते हैं। A धर्म बाल, युवा, वृद्धादि अवस्थाओं से भी बँधा नहीं है, इसे सभी धारण कर सकते हैं । r धर्म की कोई खास भाषा नहीं है, उसके सिद्धान्त जो अटल हैं, किसी भी भाषा में कथन किए जा सकते हैं ।
SR No.010823
Book TitleSubodhi Darpan
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages84
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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