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________________ रखकर शेष सब अपने तीनों लघु भ्राताओं में विभाजित कर दी.और आप निवृत्त हो गए। आपका विचार है कि इस समय की सामाजिक परिस्थिति के अनुसार 'दशमी अनुमतित्योग प्रतिमा तक का व्रत निर्दोष पल सकता है, क्योंकि यहाँ तक उद्दिष्ट भोजन ले सकता है, इससे आगे उद्दिष्ट विरत ग्यारहवी प्रतिमा व अर्जिका मुनि का धर्म निर्दोष नहीं पल सकता, क्योंकि प्रथम तो विहार का क्षेत्र और काल अनुकूल नहीं है शरीर संहनन शक्ति भी कम होगई है तिसपर श्रावकों के घरों में हमेशा शुद्ध भोजन बनता नहीं है, वे अमर्यादित अशुद्ध भोजन करने लगे हैं, इसलिये जब कोई संयमी आता है तब वे च दोवा आदि बांधते दलते खाड़ते है। शहरों में तो नल होजाने से पानी तक की कठिनता होगई है, इसलिये अनुद्दिष्ट आहारमिलना कष्ट साध्य या असंभव सा होगया है श्रोपका यह भी बिचार है कि 'परिग्रहत्याग नवमी प्रतिमा' से संयमी को रेल मोटर या अन्य सवारियों में न चलना चाहिये, क्योंकि वे कृत कारित अनुमोदना. व मन वचन काय से, द्रव्य ग्रहण करने के त्यागी हैं, इसलिये उनको निकटवर्ती क्षेत्रों में अनुकूलता व शक्ति अनुसार पांव पैदल ही भ्रमण करना चाहिये, तीर्थ यात्रा भी पैदल ही करना चाहिये, भले वर्षों में हो या न हो, वे स्वयं अपने सच्चे सिद्धान्तज्ञान तथा चरित्र से तीर्थ स्वरूप हैं, उनका शुद्धात्मा ही उनका तीर्थ सदा उनके पास विद्यमान है, इसलिये ग्रामोंग्राम धर्म देशना करते तथा अपने सामायिक स्वाध्यायादि धर्म साधन करते हुये, पैदल ही विहार करना चाहिये, उनको अमुक मिति पर कहीं
SR No.010823
Book TitleSubodhi Darpan
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages84
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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