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________________ ५ (५६) '- तसवायर पज्जतं, पत्तेय थिरं सुभं च सुभगं चः सुसराइज्ज जसं तस, दसगं थावर दसं तु इमं ॥ २६ ॥ .. त्रस दशक अथवा पुण्य प्रकृतियों के नाम । - १ त्रस, २ वादर, ३ पर्याप्त, ४ प्रत्येक, ५ स्थिर, ६शोक, ७ सौभाग्य, ८ सुस्वर, 8 आदेय, यश। ये १० प्रकृतियां पुण्य प्रकृतियां कहीं जाती है। इसही प्रकार इनके विरुद्ध १० स्थावर प्रकृतियां होती हैं जिनको पाप-प्रकृतियां कहते हैं। . ... थावर सुहुम अपज्ज, साहारण अथिर असुभ दुभगाणि दुस्सर अणाइज्झा. जस, मित्रनामे से भरा वीसं.॥ २७ ॥. स्थावर दशक अर्थात् १० पाप प्रकृतियों के नाम । १ स्थावर, २ सूक्ष्म, ३ अपर्याप्त, ४ साधारण, ५ अस्थिर, ६ अशुभ, ७ दुर्भाग्य, ८ दुस्वर, ह अनादेय १. अपयश । इस प्रकार १४.पिंड प्रकृतियां ८ प्रत्येक प्रकृतियां और (१० नस १० स्थावर दोनों मिलाकर ) २० त्रस स्थावर प्रकृतियां सब मिलकर नाम कर्म की ४२ प्रकृतियां होती है।
SR No.010822
Book TitleKarm Vipak Pratham Karmgranth
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages131
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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