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________________ १७६ श्रीमद राजचंद्र प्रणीत मोक्षमाळा. में आगळ कर्तुं हतुं के ए नाम मुकवामां जीव अने मोमने निकटता छे. छतां आ निकटता तो न थइ. पण ata अने अजीवने निकटता थइ, वस्तुनः एम थी. अज्ञानवडे तो ए वनेनेज निकटता रहीछे; पण ज्ञानवडे जीव अने मोक्षने निकटता रहीछे जेमके :-- जीव अजीव मोक्ष बंध पुण्य पाप नवतच्च नामकचक्र, आश्रव संवर हवे जुओ ए वनेने कंइ निकटता आवी छे ? हा० कहेली निकटता आची गइ छे, पण ए निकटता तो द्रव्य. रुप छे, ज्यारे भावे निकटता आवे त्यारे सर्व सिद्ध धाय 4 ए द्रव्य निकटतानुं साधन सत्परमात्मतत्व, सद्गुरुतच्च अने सद्धर्मतत्त्व ओळखी सर्द ए छे. भावनिकटता एटले केवळ एकज रुप थवा ज्ञान, दर्शन अने चारित्र साधनरुप छे.
SR No.010820
Book TitleMokshmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParamshrut Prabhavak Mandal
PublisherParamshrut Prabhavak Mandal
Publication Year1962
Total Pages220
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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