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________________ सामान्य नित्यनियम. माप्त थाय छे. वारु, गृहस्थाश्रमीओए सांसारिक प्रवर्तनथी थयेली अनिच्छित जीवहिंसादियुक्त एवी शरीर संबंधी अशुचि टाळवी जोइए के नहीं ? __ सत्य-समजण पूर्वक अशुचि टाळवीज जोइए. जैन जेई एके पवित्र दर्शन नथी; यथार्थ पवित्रतानो वोधक ते छे. परंतु शौचाशौचन स्वरुप समज जोईए. - शिक्षापाठ ५५. सामान्य नित्यनियम. प्रभात पहेलां जागृत यइ नमस्कारमंत्रनु स्मरण करी मनविशुद्ध करवं. पापन्यापारनी वृत्ति रोकी रात्रिसंबंधी थयेला दोपर्नु उपयोगपूर्वक प्रतिक्रमण कर. ___ प्रतिक्रमण को पछी यथावसर भगवाननी उपासना स्तुति तथा स्वाध्याययी करी मनने उज्वळ कर. मात पितानो विनय करी संसारीकाममा आत्महितनो लक्ष भूलाय नहीं तेम व्यावहारिक कार्यमा प्रवर्तन करवं. पोते भोजन करतां पहेलां सत्पात्रे दान देवानी परम आतुरता राखी तेवो योग मळतां यथोचित प्रवृत्ति करवी. 14
SR No.010820
Book TitleMokshmala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParamshrut Prabhavak Mandal
PublisherParamshrut Prabhavak Mandal
Publication Year1962
Total Pages220
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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