SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 418
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पांव चरित्र. ( ४१३ ) करवाने तैयार था. चलता वीर रसवालो क अने बीजा महा बलवंत नूपालो पण युद्ध करवाने माटे पोतपोताना सिंहासन नपरथी नतरीने तैयार श्रया. श्रवखते तेना जुना प्रस्फोटनथी अने चारे तरफ यता एवा महाजयंकर सिंहनादोथी त्रास पाम्या वे श्रश्व जेना एवो सूर्य जाणे पर्वतोना शिखरोनी पटवाने संता पेठो होयनी ? एम अस्त पाम्यो पछी महा रणारंजयी ए ण जगत्ने को पमानवाने तैयार श्रयेला ए सर्वे सुनटोने गुरुए पोते नबीने गरिष्टपणा निवृत्ती पमाया. या अवसरे धृतराष्ट्रना पूब्वा नपरथी सूतसारथी हर्षथी कर्णनुं कुलादिक कदेवा लाग्यो के, “ स्नान निमित्ते गंगा प्रत्ये गयेला मने प्रवाहमां तपाती प्रावती पेटीमांथी या पुत्र मल्यो बे. वली अद्भुत देहांती ने मुझमां रहेला रत्नाकरथी में तेने कुंतीनो पुत्र जाण्यो बे. मने संबंधी सूर्ये स्वप्न प्राप्यं हतुं, माटे में ए महा पराक्रमवंत पुत्रने ग्रहण को बे.” पबी अति हर्ष पामेलो धृतराष्ट्र राजा पोताना पुत्रोसहित कर्णने साथे लइ पांना पुत्रो नपर चित्तमां बहु मत्सर धरतो बतो पोताना घरप्रत्ये गयो, जेवी रीते लोको उत्पन्न थयेला गुणोथी पांरुवो नपर प्रीति राखवा लाग्या तेवीज रीते तेन श्रन्यायादि दोषथी दुर्योधनादिकने विषे निस्पृह था. स्पष्ट धर्मवंत एवा पांकुराजाए पोताना बंधु धृतराष्ट्रना पुत्रोने जूदा रहेवा माटे देशरहित कुशस्थल नामनुं नगर प्राप्युं. या प्रमाणे जाण एवा पांशु, धृतराष्ट्र, जीष्म ने शेण गुरु तेमज बीजा सभासदो पांसुपुत्रोना तथा धृतराष्ट्रपुत्राना जवलनी विविध प्रकारे परीक्षा करीने बहु दर्ष पामताः बता तत्काल पोतपोताना घरप्रत्ये गया. इति ऋषिमंगलवृतौ पांवचरित्रे विद्याभ्यासबलपरीक्षा वर्णाख्यो द्वितीयधिकारः कोइ वखते डुपद राजाना प्रसन्न मनवाला प्रतिहारी दूते दिव्य सनामां वेळेला पांकुराजाने प्रणाम करीने कह्युं के, " हे महाराजा ! श्री डुपराजाने चुलनी स्त्रीना नदरथी नृत्पन्न थयेली, विश्वना मनुष्योने आश्चर्यकारी ने म नोहर रूपवाली शेपदी नामे पुत्री बे. डुपद नूपाले ते पोतानी पुत्रीनो स्वias inप रच्यो वे, तेमां तेमले कृष्ण तथा वलनसहित सर्वे दशाहने, -
SR No.010819
Book TitleRushimandal Vrutti Purvarddha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShubhvarddhansuri, Harishankar Kalidas Shastri
PublisherJain Vidyashala Ahmedabad
Publication Year1901
Total Pages487
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size37 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy