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________________ श्री महापद्म चरित्र. (१३ए) चिये कहूं " हे विष्णुकुमार ! तमे एम शा माटे बालो को ? साधुनए पांच दिवस रही परी चाल्या जq.” विष्णुकुमारे कडं. “ त्यार पठी साधुन व्हारना नद्यानने विषे रहेशे.” विष्णुकुमारनां आवां वचन सांजली क्रोधातुर थयेला नमुचिये तत्काल कडं के, "अरे! पोताना माता पिताने दूषित करनारा, निर्लज, मलिन अने सर्व पाखंमियोमा अधम एवा तमारे अहियां थोमीवार पण न रहे,. वली जो तमारे जीवित, कार्य होय तो सर्वथा म्हारा राज्यने स्यजी देवु. नहि तो हुं तमारो नाश करीश.” तेनां आवां वचन सांजली अत्यंत क्रोधातुर श्रयेला विष्णुकुमारे फरीश्री कर्वा के, “हे नूपति ! त्रण पगला पृथ्वी तो आप.” मंत्री नमुचिये कह्यु. “हुं तमने त्रण पगलां पृथ्वी आपुं बुं; परंतु तेनी व्हार कोश पण साधुने देखीश तो तेने निश्चे मारी नाखीश. 1 पठी मुनिनना वधनी वार्ताथी नत्पन्न श्रयेला क्रोधरूप अग्नि जलित हृदयवाला विष्णुकुमार, पोते राजाननां जोता उता वधारवा लाग्यो नाना प्रकारना रूपने धारण करनार अने गर्जना करता उतां भी शके खपामता ते एक लाख योजन प्रमाण देहवाला श्रया. चरणला प्रतीज आ म्होनगर, खाण, पर्वत अने समुयी व्याप्त एवा पृथ्वीनां पीठने ऐयने आदरूं." हामुनि पर्वतोना शिखरोने पामवा लाग्या. महासमु कोनन हृदयवाला हज्योतिश्चक्र दूर नासवा लाग्युं अने सर्वे देवतान “आ कोश्रो राजान सहित नत्पन्न भयो .” एम शंसय करवा लाग्या. आ प्रमाणे त्रमये दीर्घकाल तीव्र इं३ ते मुनिने अत्यंत कोप पामेला जागी तेमने शांत मक्तिपद प्राप्त करयं. देवांगनानने अने गंधर्वोने मोकल्या. पठी ते देवांगनहजार वर्ष प्रमाण श्राविष्णुकुमारना काननी पासे जर नंचे स्वरे एम गाय सिडिपदने पाम्या. प प्रबोध पामो अर्थात् शांत थान. कारण के, आपेर रत्रम् ॥ स्वजन अने परजन ए बन्नेने ताप पमामनारो अयोजन क्रोधने संसारमा गाढ खुर्गतिनुं कारण म धारण करो. कारण के, मुनियो तोवक्रवर्ती चरित्रम् ॥ - धुनने क्रोध करवो ए चारित्र तथा रने विषे समुविजय नामे राजा राज्य क ने, माटे हे मुनिश्वर ! संसारना। हती. तेनने सौन्नाग्यरूप नाग्यनी नूमी एवो .. विष्णुकुमार वृधि अये नामे पुत्र अयो. अनुक्रमे ते युवावस्था पाम्यो
SR No.010819
Book TitleRushimandal Vrutti Purvarddha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShubhvarddhansuri, Harishankar Kalidas Shastri
PublisherJain Vidyashala Ahmedabad
Publication Year1901
Total Pages487
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size37 MB
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